सामान्यत: आजकल जो जन्मकुंडली अनुसार ज्योतिषी जो बताते हैं उसमें से ३० से ३५ प्रतिशत योग्य होता है । ज्योतिषी की साधना और उसका अभ्यास इस अनुसार उसके योग्य होने की मात्रा बढती है । शिशु के जन्म के समय जब उसका सिर नीचे दिखाई देने लगे, उस समय के अनुसार यदि कुंडली बनाई जाए तो वह ३८ प्रतिशत तक योग्य आती है । गर्भाशय का आकुंचन प्रथम होने लगे, उस जन्म के समय वह पहला सेकंड ध्यान में रख यदि कुंडली बनाई, तो वह लगभग ४४ प्रतिशत योग्य आती है । उससे पहले गर्भाशय की हालचाल होते समय ही महिला को प्रथम समझ में आ जाए, तो उस क्षण को ध्यान में रख यदि जन्मकुंडली बनाई जाए तो वह लगभग ४७ से ४८ प्रतिशत योग्य आती है । ऐसे अनेक चरण हैं । जिस क्षण स्त्रीबीज फलित होता है, वह क्षण यदि समझ में आ जाए तो इस आधार पर बनी कुंडली पूरे १०० प्रतिशत योग्य भविष्य बता सकती है; परंतु वह किसे समझ में आएगा ? अपने शरीर में करोडों पेशियां हैं । उसमें से एक पेशी में क्या हुआ वह हमें पता ही नहीं चल सकता । किसी की समझ में आता है क्या ? समझ में नहीं आ सकता । यह कौन समझ सकता है ? तो जो स्त्री स्वयं संत स्तर की है । अर्थात पहले के काल में ऋषि-मुनियों की पत्नियों की समझ में उसी क्षण आता था कि अब गर्भधारणा हो गई है । आज हम नहीं समझ पाएंगे । (संग्रहित लेख)