जम्मू के ज्योतिष विशारद डॉ. शिवप्रसाद रैना गुरुजी द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संदर्भ में व्यक्त गौरवोद्गार !

‘१७.५.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी साधकों के साथ जम्मू के कुछ तीर्थस्थलों के दर्शन करने गई थीं । तब उन्होंने जम्मू के प्रसिद्ध समाजसेवी तथा ज्योतिष विशारद डॉ. शिवप्रसाद रैना गुरुजी के घर में निवास किया ।

बाईं ओर से (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, डॉ. शिवप्रसाद रैना गुरुजी एवं श्रीमती रैना

 

१. जम्मू के ज्योतिष विशारद डॉ. शिवप्रसार रैना का परिचय

जम्मू के डॉ. शिवप्रसाद रैना गुरुजी वेदों के तथा ज्योतिषशास्त्र के अभ्यासी हैं । उन्होंने १४ वर्ष की आयु से ही वेदाध्यायन का आरंभ किया । वे स्वयं ज्योतिष विशारद हैं । वे जम्मू के कई शिक्षासंस्थान और सामाजिक संस्थाओं का मार्गदर्शन करते हैं । वे आध्यात्मिक चिंतक भी है । कई लोग उन्हें रैनागुरुजी के नाम से जानते हैं ।

 

२. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के शरीर की रक्षा महत्त्वपूर्ण !

ज्योतिष विशारद डॉ. शिवप्रसाद रैना गुरुजी ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को कभी नहीं देखा है; परंतु तब भी उन्होंने बताया, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एक बडे संत हैं । उनके शरीर की रक्षा महत्त्वपूर्ण है । गुरुदेवजी के स्वास्थ्य में सुधार आने से राष्ट्र की स्थिति में भी सुधार आएगा ! (‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने एक बार कहा था, ‘‘राष्ट्र-धर्म की स्थिति ठीक नहीं है; इसलिए मैं भी स्वस्थ नहीं हूं ।’’- संकलक) वे राष्ट्र-धर्म का कार्य कर रहे हैं; इसलिए उन्हें अंगविकृति हुई हैं । (पैर टेढे हेना, तो कभी हाथोंपर अथवा पैरोंपर सूजन होने की स्थिति को अंगविकृति कहते हैं ।) (‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की स्थिति भी ऐसी ही है । – संकलक)

इस अवसरपर उन्होंने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को दीर्घायु प्राप्त होने हेतु एक अनुष्ठान भी बताया ।’

– श्री. विनायक शानभाग, देहली (२३.५.२०१९)

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