‘आनंदमय जीवन के लिए साधना’ विषय पर मार्गदर्शन तथा अधिवक्ताओं काे साधना करने से हुई अनुभूतियां

बाएं से अधिवक्ता शरदचंद्रजी, अधिवक्ता बिभूतिभूषण पलई, पू. नीलेश सिंगबाळ और श्री. शंभू गवारे

अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के द्वितीय सत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने ‘आनंदमय जीवन के लिए साधना’ इस विषय पर अधिवक्ताओं का मार्गदर्शन किया । तदुपरांत अधिवक्ताओं के साधना आरंभ करने पर उन्हें हुए अनुभव बताए ।

 

लक्ष्यवेधी कार्य करने के लिए अर्जुन की भांति उत्तम साधना करना आवश्यक ! – पू. नीलेश सिंगबाळ

‘मन और बुद्धि के स्तर पर धर्मक्रांति करेंगे’, ऐसा कहना अहं का लक्षण है । आर्य चाणाक्य ने साधना के बल पर संगठन करके चंद्रगुप्त मौर्य को सक्षम बनाया और नंद राजा को पराजित किया । अर्जुन उत्तम धर्नुधर होने के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण का परमभक्त था । अल्प समय में लक्ष्यवेधी कार्य करने के लिए अर्जुन की भांति उत्तम साधना करना आवश्यक है । रज-तम गुणों के साथ लडने के लिए उनसे अधिक सक्षम सत्त्वगुण की आवश्यकता होती है । हिन्दूद्वेषियों के विरोध में लडने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठों को साधना करना आवश्यक है । कलियुग में सर्वाेत्तम साधना के तौर पर काल के अनुसार आवश्यक भगवान श्रीकृष्ण और कुलदेवता का नामजप करना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन सनातन के संत एवं हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने किया । ‘आनंदमय जीवन के लिए साधना और अनुभवकथन’ इस सत्र में वे बोल रहे थे । इसके साथ उन्होंने कर्मफलन्याय, मन-बुद्धि का कार्य, ईश्वरीय गुण अंकित करने का महत्त्व, इन विषयों पर भी मार्गदर्शन किया ।

 

नामजप साधना के कारण तनाव आना अल्प हुआ ! – अधिवक्ता बिभूतिभूषण पलई, जिला सचिव, प्रज्ञान क्रियायोग मिशन, ओडिशा

मैं प्रज्ञान क्रियायोग मिशन के माध्यम द्वारा ध्यानधारणा करता हूं । मैं वर्ष २०१९ में हिन्दू जनजागृति समिति के संपर्क में आया । समिति के श्री. प्रकाश मालोंडकरजी से मेरी भेंट हुई । मैंने उन्हें बताया, ‘‘मैं धर्मकार्य एवं ध्यानधारणा भी करता हूं; परंतु मैं तनाव का अनुभव करता हूं ।’’ तदुपरांत मेरी भेंट परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी से हुई । उन्होंने मुझे नामजप करने के लिए कहा । उनके बताए अनुसार मैंने नामजप करना आरंभ किया । कुछ समय उपरांत मेरी तनाव अनुभव करने की समस्या दूर हुई । नामजप साधना हम कोई भी काम करते समय कर सकते हैैं ।

 

साधना के कारण मेरे नकारात्मक विचार अल्प हुए ! – अधिवक्ता शरदचंद्र, जिला सचिव, प्रज्ञान क्रियायोग मिशन, निजामाबाद, तेलंगाना

मैं ५ वर्ष से हिन्दू जनजागृति समिति के साथ जुडा हुआ हूं । सहयोगी अधिवक्ताओं से कैसे बोलना है, यह बात मैंने साधना द्वारा सीखी है । साधना के कारण मेरे नकारात्मक विचार अल्प हुए हैं ।

 

धर्मकार्य साधना के तौर पर करना आवश्यक ! – शंभू गवारे, पूर्वाेत्तर भारत समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर को भले ही हमारी आवश्यकता न हो, पर हमारी साधना होने के लिए गोप-गोपियों समान लाठियां लगाने का काम करना अर्थात धर्मकार्य करना आवश्यक है । साधना करने से व्यक्ति धर्मनिष्ठ बनता है । साधना करनेवाला इस भाव से कार्य करता है कि ‘ईश्वर ही कार्य करवाकर लेते हैं ।’ इसलिए उसे निराशा नहीं आती, अपितु कार्य और अच्छी तरह से होता है ।’, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वाेत्तर भारत समन्वयक श्री. शंभू गवारेजी ने किया ।

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