नई देहली – यहां प्रगति मैदान स्थित विश्व पुस्तक मेले में सनातन संस्था द्वारा ९ से १७ जनवरी की कालावधि में अध्यात्म, राष्ट्र-धर्म, देवता संबंधी अनमोल ज्ञान प्रदान करनेवाले ग्रंथों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । स्वामी अवधेशानन्द जी ने भी प्रदर्शनी को भेंट देकर आशीर्वाद दिए । समिति और संस्था के जालस्थल पर प्रदर्शनीसंबंधी जानकारी दी गई । प्रतिदिन सहस्रों जिज्ञासु एवं धर्माभिमानियों ने प्रदर्शनी का लाभ लिया ।
क्षणिकाएं :
१. वर्ष २०१५ के विश्व पुस्तक मेले में एक व्यक्ति अपनी समस्या लेकर आए थे । उनके बाल अत्यधिक झड़ने के कारण वे परेशान थे. तब उन्हें गोमूत्र लगाने को कहा और साथ में संस्था का शिकाकाई भी दिया था। उन्होंने वो उपयोग में लिया और इस वर्ष जब वे प्रदर्शनी पर आए तो बताया कि उसी का उपयोग करने से उन्हें लाभ हुआ ।
२. एक धर्मांध प्रदर्शनी पर आकर बहस कर अन्य उपस्थित जिज्ञासुओं में हिन्दू धर्म के बारे में गलत धारणा फैलाने का प्रयास कर रहा था. परन्तु हिन्दू धर्म में कैसे हर चीज़ का शास्त्र है – और हिन्दू होने का हमें अभिमान है. – ये उसके ध्यान में दिलाने पर वो चुप – चाप वहां से चला गया।
३. एक जिज्ञासु ने प्रदर्शनी देखते ही कहा, प्रदर्शनी चैतन्य का भण्डार है । यहां पर रखे देवताओं के चित्रों में देवता का अस्तित्व प्रतीत होता है, इनमें से बहुत सकारात्मक ऊर्जा आ रही है । जब साधक ग्रंथ और सात्त्विक उत्पाद के बारे में बताते हैं तो वाणी में बहुत चैतन्य लगता है ।
४. सनातन-निर्मित अगरबत्ती की महक से भी जिज्ञासु प्रदर्शनी स्थल पर आकर उस अगरबत्ती की मांग कर रहे थे । पुस्तक मेले में सेवारत कार्यकर्ता भी वह अगरबत्ती लेने आ रहे थे । चौकीदार से लेकर सभी वरिष्ठ अधिकारी भी आए ।
५. एक संस्कृत के शिक्षक, श्री धनञ्जय शास्त्रीजी, अपने शिष्यों को लेकर प्रदर्शनी पर आए थे । उन्होंने अनेक ग्रंथ खरीदे एवं उनके विद्यालय में बालसंस्कारवर्ग आरंभ करने की इच्छा व्यक्त की है ।
६. पंजाब से आए समग्र चिकित्सक होलिस्टिक हीलर ने ग्रंथ प्रदर्शनी पर आते ही कुदृष्टि कैसे उतारें यह ग्रंथ तुरंत लिया ।
७. संस्था का नाम प्रदर्शनी पर देखकर एक जिज्ञासु वहां आए । उन्होंने कहा यह वही संस्था है न जिसके बारे में कुछ दिन पहले टी.वी. पर बहुत दुष्प्रचार हो रहा था । प्रदर्शनी देखकर तो लगता है कि संस्था बहुत अच्छा कार्य कर रही है । हार्दिक अभिनंदन !
८. नाशिक के प्रोफेसर श्री के.एल. पवार, जो कि परम पूज्य दादाजी वैशंपायन के शिष्य हैं, उन्होंने प्रदर्शनी को भेंट दी ।
९. एक हितचिंतक ने स्वयं आकर बताया कि आपके ग्रंथ अध्यात्म के विषय में है । भारत सरकार की ओर से आध्यात्मिक पुस्तकों के लेखकों को अनुदान मिलता है । आप उसका लाभ उठाएं ।
१०. एक धर्मांध प्रदर्शनी पर आकर बहस कर अन्य उपस्थित जिज्ञासुओं में हिन्दू धर्म के बारे में गलत धारणा फैलाने का प्रयास कर रहा था; परन्तु हिन्दू धर्म में प्रत्येक कृत्य का अध्यात्म-शास्त्रीय आधार है और हिन्दू होने का हमें अभिमान है ।, यह उसके ध्यान में दिलाने पर वह चुपचाप चला गया ।