अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन भावपूर्ण वातावरण में आरंभ

दीपप्रज्वलन करते हुए बाएं से प.पू. भागीरथी महाराज, सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, पू. महंत श्रीरामज्ञानीदासजी महाराज, स्वामी आत्मस्वपरूपानंदजी महाराज एवं सद्गुरु नंदकुमार जाधव

भाजपा शासन अब श्रीराममंदिर निर्माण का आश्‍वासन पूर्ण करें !
– सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

रामनाथी (गोवा) : अयोध्या के श्रीराममंदिर की याचिका पर सुनवाई के विषय में सर्वोच्च न्यायालय समय व्यर्थ करने की भूमिका अपना रही है । ऐसे में भाजपा शासन को पिछले कार्यकाल में ही श्रीराममंदिर निर्माण के विषय में अध्यादेश लाना चाहिए था, यह हिन्दुओं की अपेक्षा थी । इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने श्रीराममंदिर निर्माण का आश्‍वासन दिया है । इसलिए अब जनता के विश्‍वास का सम्मान करते हुए सरकार की स्थापना होते ही वह श्रीराममंदिर निर्माण का आश्‍वासन पूरा करने के लिए प्रयत्न करे, यह अपेक्षा है । यह मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने की है । भाजपा सरकार ने इलाहाबाद का नामकरण ‘प्रयागराज’ किया तथा कुंभमेला का समुचित आयोजन किया । यह एक अच्छा कार्य है; परंतु श्रीराममंदिर का निर्माण न होने के कारण हिन्दुओं के मन में ‘आश्‍वासन देकर विश्‍वासघात करने’ की भावना प्रबल हो सकती है, ऐसा भी उन्होंने कहा । 29 मई को श्री रामनाथ देवस्थान स्थित श्री विद्याधिराज सभागार में ‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’के उद्घाटन समारोह में वे बोल रहे थे ।

प्रारंभ में प.पू. भागीरथी महाराज, स्वामी श्रीरामज्ञानीदासजी महाराज, बंगाल के श्री सत्यानंद महापीठ के स्वामी आत्मस्वरूपानंदजी महाराज, सनातन संस्था के धर्मप्रसारक सद्गुरु नंदकुमार जाधव तथा सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन किया गया । पू. नीलेश सिंगबाळजी ने अधिवेशन का उद्देश्य बताया । 29 मई से 4 जून की अवधि तक चलनेवाले इस 7-दिवसीय अधिवेशन के प्रथम दिवस पर भारत और बांग्लादेश से अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 240 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकरजी को डॉ. दाभोलकर हत्या प्रकरण में अन्यायपूर्वक बंदी बनाया है । अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ने इस कृत्य की निंदा की ।

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में विविध ग्रंथों का लोकार्पण करते हुए डावीकडून सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, प.पू. भागीरथी महाराज, स्वामी आत्मस्वपरूपानंदजी महाराज, पू. महंत श्रीरामज्ञानीदासजी महाराज एवं सद्गुरु नंदकुमार जाधव

इस समय हिन्दू जनजागृति समिति समर्थित ‘हिन्दू राष्ट्र : आक्षेप एवं खंडन’ इस हिन्दी भाषिक, ‘लोकतंत्र में फैली दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध प्रत्यक्ष कृत्य’ इस कन्नड भाषिक, ‘स्थान की उपलब्धता के अनुसार औषधीय वनस्पतियों का रोपण’, इस कन्नड भाषिक, ‘औषधीय वनस्पतियों का रोपण कैसे करें ?’ इस कन्नड भाषिक, तथा सनातन के ‘मुंडू (लुंगी समान वस्त्र) की अपेक्षा धोती श्रेष्ठ होने का अध्यात्मशास्त्रीय आधार’, इस तमिल ग्रंथ का लोकार्पण किया गया । दीपप्रज्वलन के उपरांत सनातन पुरोहित पाठशाला के पुरोहितों ने वेदमंत्रों का पाठ किया । अधिवेशन हेतु कांची कामकोटी पीठाधीश्‍वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वतीजी ने आशीर्वाद पत्र दिया, जिसका वाचन सनातन संस्था के धर्मप्रसारक पू. अशोक पात्रीकरजी ने किया तथा सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के संदेश का वाचन सनातन संस्था के धर्मप्रसारक सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने किया । अधिवेशन का सूत्रसंचालन हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुमित सागवेकर ने किया ।

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में उपस्थित धर्मप्रेमी

 

श्रीराममंदिर का निर्माण न होने पर हिन्दू समाज देशव्यापी आंदोलन
आरंभ करेगा !– अधिवक्ता हरिशंकर जैन, अध्यक्ष, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’

अधिवक्ता हरिशंकर जैन, अध्यक्ष, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’

श्रीराममंदिर हिन्दुओं के स्वाभिमान का विषय है । वर्ष 2014 में भाजपा ने श्रीराममंदिर निर्माण का आश्‍वासन दिया था; परंतु वह पूरा नहीं हुआ । प्रधानमंत्री श्री. मोदीजी को हिन्दुत्व का कार्य करने के लिए हिन्दुओं ने एक बार पुनः बहुमत से चुना है । इसलिए अब तो भाजपा शासन अध्यादेश निकालकर श्रीराममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे, ऐसा देहली स्थित ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष अधिवक्ता हरिशंकर जैनजी ने अधिवेशन में दिया ।

 

धधकता बंगाल एवं हिन्दुत्वनिष्ठों का कार्य…

 

बंगाल सरकार के शासनकाल में हिन्दू भयभीत ! – नोनी गोपाल, हिन्दू सहायता समिति, बंगाल

गंगा में स्नान करने से जैसे पूर्णत्व प्राप्त होता है, वैसे हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में सम्मिलित होने से हमें पूर्णत्व प्राप्त हुआ है !

 

मान की अपेक्षा न रखते हुए राष्ट्र एवं धर्म के लिए सर्वस्व समर्पित करने का यही समय है ! – प.पू. भागिरथीजी महाराज, संस्थापक अध्यक्ष, गुरुकृपा सेवा आश्रम, नागपुर

प.पू. भागिरथीजी महाराज बोले, ‘‘हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है’, ‘राष्ट्र एवं धर्म यही हमारे लिए सर्वस्व है’, ऐसा केवल कहने से नहीं चलेगा । उसके लिए कर्म करने की आवश्यकता है; परंतु यह कार्य करते समय कोई भी अपेक्षा नहीं रखनी है । हनुमानजी ने किसी भी फल की अपेक्षा न रखते हुए रामराज्य के लिए स्वयं को समर्पित किया था । वृक्ष निर्माण होने के लिए बीज को अपना अस्तित्व समाप्त करना होता है । उसी प्रकार सम्मान की अपेक्षा न रखते हुए राष्ट्र और धर्म के लिए सर्वस्व समर्पित करना चाहिए और उसे करने का यही समय है । हिन्दुत्व का कार्य करनेवाला कोई संगठन भले ही कितना भी बडा हो; परंतु यदि उसमें संस्कृति ही न हो, तो उसका अस्तित्व टिक नहीं सकता । सनातन धर्म बचेगा, तब ही हम बच सकते हैं ।’’

प.पू. भागिरथीजी महाराज ने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति व्यक्त किए गौरवोद्गार

सनातन, यही एकमात्र धर्म है और अन्य सर्व पंथ हैं । हिन्दू जनजागृति समिति सनातन धर्म की जानकारी सभी तक पहुंचाती है । सनातन संस्था, मंदिर की पवित्र मूर्ति समान है । यह संस्था, हिन्दू धर्म में प्राण भरने का कार्य कर रही है ।

प.पू. भागिरथीजी महाराज ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति व्यक्त किए गौरवोद्गार

श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने जो बताया अथवा जो किया, उसे आचरण में लाना चाहिए । उनके केवल चित्र लगाकर, उनकी पूजा करने तक सीमित न रहते हुए उनके पवित्र चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए । संत, देवता दर्पण समान हैं । दर्पण के सामने खडे होने पर हम जैसे स्वयं को देखते हैं, उसी प्रकार संतों के दर्शन के लिए जाने पर स्वयं की ओर देखें और उनसे हिन्दू राष्ट्र के विचार धारण करें ।

 

भारतीय संस्कृति के पुनर्जीवन हेतु आश्रमव्यवस्था पर आधारित जीवनपद्धति पुन: आरंभ करना आवश्यक ! – दिलीप केळकर, संस्थापक, भारतीय शिक्षा मंच, ठाणे

 

हिन्दू राष्ट्र के परिसंवाद के समय प्राप्त दैवी साक्ष्य !

अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के पहले दिन के सांयकालीन सत्र में (२९ मई को सायंकाल ६ बजकर २० मिनट) ‘हिन्दू राष्ट्र की मांग संविधानात्मक अथवा संविधानबाह्य’, इस विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया था । परिसंवाद आरंभ होने से पूर्व ‘एक ही नारा, एक ही नाम, जय श्रीराम, जय जय श्रीराम’, ‘सियावर रामचंद्र की जय’, ‘कौन चले रे कौन चले, हिन्दू राष्ट्र के वीर चले’, ‘हर घर भगवा छाएगा, रामराज्य फिर आएगा’, ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम’, ये क्षात्रतेजवर्धक घोषणाएं दी गईं । इन घोषणाओं से संपूर्ण सभागार गूंज उठा । सभी में अनोखा उत्साह और जोश निर्माण हो गया । उसी समय सभागार की छत पर कुछ गडगडाहट हुई और सभागार के बाहर खडी साधिका श्रीमती जानकी पवळे को सभागार की छत पर कुछ वानर आए दिखाए दिए । ‘साक्षात हनुमानजी ही सर्व धर्मवीरों को शक्ति देने के लिए आए हैं’, ऐसा अनेक लोगों को प्रतीत हुआ । संतों ने भी बताया कि ‘यह दैवीय साक्ष्य है ।’

 

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