परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के ७७वें जन्मोत्सवके उपलक्ष्यमें उन्हें स्वास्थ्यपूर्ण दीर्घायु प्राप्त हो, सनातनके साधकोंकी रक्षा हो तथा हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना हों; इसके लिए सद्गुरुद्वयी द्वारा लिया गया संकल्प !
बाईं ओर से सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, श्री सत्यनारायणजी का अभिषेक करती
हुईं सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तथा बाजू में पौरोहित्य करते हुए श्री. सिद्धेश करंदीकर
रामनाथी (गोवा), ७ मई (संवाददाता) : कलियुगमें श्रीविष्णुजी अर्थात भगवान नारायणके रूपमें भी पूजन किया जाता है । श्री सत्यनारायरण व्रत के माध्यम से इस विश्वमें केवल श्रीविष्णुजी ही सत्य हैं ! और शेष सभी माया है, इसका मनुष्यको भान होकर उसके दुखोंका निवारण हो;इसके लिए श्री सत्यनारायणका पूजन किया जाता है । अखिल मनुष्यजातिका कल्याण हो; इस तडपसे दिन-रात परिश्रम उठानेवाले, गुरुकृपायोग की निर्मिती कर सामान्य मनुष्यको साधक बनानेवाले तथा साधकको सुख-दुखके पर ले जानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके ७७वें जन्मोत्सवके उपलक्ष्यमें मयन महर्षिजीकी आज्ञाके अनुसार सनातनके आश्रममें ७ मईको श्री सत्यनारायणका पूजन किया गया ।
सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को स्वास्थ्यमय दीर्घायु प्राप्त हो, सनातन के साधकों की रक्षा हो तथा हिन्दू राष्ट्र स्थापना मेंउत्पन्न सभी बाधाएं दूर होने का संकल्प लिया । इस अवसरपर गणपति, वरुण, नवग्रह आदि देवतआेंका आवाहन और पूजन किया गया । सत्यानारायण पूजन तथा कथावाचनके पश्चात श्रीसत्यनारायणकी आरती उतारी गई। सनातनके पुरोहित श्री. सिद्धेश करंदीकरने पौरोहित्य किया । सनातन पुरोहित पाठशालाके संचालक तथा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. दामोदर वझेगुरुजीने श्री सत्यनारायणकी कथा विशद की । इस मंगल अवसरपर सनातन के संत और साधक भी उपस्थित थे ।
शरणागत ज्योतियों के प्रकाश से वैकुंठलोक में चैतन्य फैला ।
श्रीविष्णु को नेत्रों में समाने हेतु उत्सुकता से साधक व्यस्त होने लगे कृतज्ञता में ॥
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जहां उनका स्थूल से निवास है, उस रामनाथी के सनातन आश्रममें विविध धार्मिक विधियां की जा रही है । आश्रम के फलकोंपर कृतज्ञताभाव जागृत करनेवाली प्रार्थनाएं लिखी जा रही हैं । आश्रम में सर्वत्र ज्ञानज्योतिका प्रतीक बने दीप भी लगाए जानेके कारण आश्रमका वातावरण चैतन्यसे प्रकाशमान हुआ है ।
श्री सत्यनारायण पूजन के समय प्राप्त दैवीय संकेत
१. सत्यनारायण पूजन हेतु सद्गुरुद्वयीका पूजनस्थलपर आगमन होनेपर यज्ञकुंड परिसर में स्थित हनुमानजीके मंदिरमें स्थित प्रकाश केसरिया रंगका होनेका ध्यानमें आया ।
२. सत्यनारायण पूजन के अंतर्गत संकल्प एवं पूजन के समय पूजाकी रचनामें लगाए गए केलेके खंबेके २ पत्ते धीरे-धीरे हिल रहे थे; परंतु अन्य खंबोंके पत्ते नहीं हिल रहे थे ।
३. षोड्शोपचार पूजनके अंतर्गत सत्यनारायणकी मूर्तिका पंचामृत स्नान कराते समय एक पुष्प भगवान सत्यनारायणजी के आशीर्वाद दे रहे हाथमें फंस गया । उस अवसरपर भगवान सत्यनारायणका अर्थात विष्णुजी का पद्माकर अर्थात पद्म धारण किया हुआ रूप उत्पन्न हुआ, ऐसा ध्यानमें आया । पंचामृत स्नान के पश्चातभी यह पुष्प नीचे नहीं गिरा, तो वह मूर्तिसे चिपका रहा ।
भगवान सत्यनारायणजी के आशीर्वाद दे रहे हाथमें फंसा हुआ एक पुष्प
४. षोड्शोपचार पूजन के अंतर्गत भगवान सत्यनारायणजीकी मूर्तिका पंचामृत स्नान और अभिषेक किए जानेपर पानीका स्तर बढ जानेपर भी पूजनके समय मूर्तिके चरणोंपर समर्पित पुष्प उसी स्थानपर स्थिर था । मूर्तिको समर्पित अन्य पुष्प नीचे गिर गए थे; परंतु पंचामृत स्नान एवं महाभिषेक होनेपर सभी पुष्प मूर्तिके आशीर्वाद दे रहे हाथकी ओर एकत्रित हुए थे ।