राजस्थान के बांसवाडा में २२ फरवरी को आयोजित ‘पर्यावरण की रक्षा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषयपर आधारित राष्ट्रीय परिषद को संबोधित करते हुए अवकाश वैज्ञानिक तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. ओमप्रकाश पांडेय ने अपने विचार रखे । उन्हें केवल समस्याएं ही न गिनकर उनका समाधान भी विशद किया ।
१. हवन और यज्ञ करने से हम स्वयं को रोगों से दूर रख सकते हैं !
ग्लोबर वार्मिंग अब केवल भारत के लिए ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के लिए एक संकटकाल बन गया है । उसे रोकने हेतु प्रतिवर्ष हमारे देश में और विदेश में विचारमंथन किया जाता है । पृथ्वी की सुरक्षा करनेवाले ओझोन के स्तर में बडा छेद बन गया है । उससे किरणोत्सर्जन नहीं रुकता और उसके दुष्प्रभाव के रूप में जीका, इबोला, निपाह, स्वाईन फ्लू, डेंग्यु, चिकुनगुनिया आदि विषाणुओ का फैलाव होता है । ऐसे विषाणु आते हैं और रोग फैलाते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन को उसका उपाय ढूंढने में १० वर्ष लगते हैं; किंतु तबतक सहस्रों लोगों की मृत्यु हो जाती है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास इसका कोई उपाय नहीं है । यह उपाय केवल भारतीय संस्कृति तथा ऋषिमुनियों की परंपराओ में ही मिलता है । बेंगलुरु की प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण से यह प्रमाणित हुआ है कि हम हवन और यज्ञ कर स्वयं को रोगों से दूर रख सकते हैं । एक दिन यज्ञ करने से १०० यार्ड क्षेत्र में १ मासतक प्रदूषण नहीं हो सकता । हम जब यज्ञ करते हैं, तब उसमें हम आम की लकडी का उपयोग करते हैं । उससे एथलिन ऑक्साईड वायु निकलता है, साथ ही कोपाइल वायु भी निकलता है । उनमें होनेवाले रासायनिक परिवर्तन के कारण बाहरी वातावरण शुद्ध होता है । इसमें हमें कोई कष्ट नहीं होगा ।
२. गाय के शुद्ध घी का दीप जलाने से ओजोन के स्तर में बना छेद भरेगा !
जब गाय के शुद्ध घी से दीप प्रज्वलित किया जाता है, तब उससे बाहर निकलनेवाला ओ-३ वायु ओजोन के स्तर में बने छेद को भरने का काम करता है । उससे सभी प्रकार के विषाणुओ से हमारी रक्षा होती है । हमारे घर की महिलाएं भक्तिभाव से यह काम करती हैं; किंतु इस माध्यम से वे कितना बडा कार्य कर रही हैं, यह उन्हें ज्ञात नहीं होता । यह एक बडा शास्त्रीय शोध है ।
३. वृक्ष लगाने से लाभ
बरगद : प्राचीन काल में ऋषिमुनी बरगद के वृक्ष के नीचे शिष्यों को ज्ञान प्रदान करते थे । उससे शिष्यों को यह लाभ मिलता था कि बरगद के वृक्ष से मैग्नेशियम फॉस्फरस नीचे आता है, जिससे की स्मृति बढती है और स्मरणशक्ति तीक्ष्ण बनती है ।
पीपल : हाथपर पीपल के ताजे पत्ते रगडकर उसका रस सेवन करने से हमें जीवन में कफ का कोई कष्ट नहीं होगा ।
बेल : इससे मिलनेवाले मार्लो मालेसिस से पाचनतंत्र में सुधार होता है ।
अशोक : अशोक वृक्ष लगाने से तनाव दूर होता है ।
नीम : इससे त्वचारोग, बुखार और अन्य विकार नहीं होते ।
शिक्षा तो ज्ञान संपादन की एक पद्धति है ! -प्रा. नीरज शर्मा
इस परिषद में प्रा. नीरज शर्मा ने भी अपने विचार रखे । उन्होंने कहा कि ज्ञान के कारण किसी भी प्रकार की स्थिति और चिंता दूर होती है । ज्ञान एवं शिक्षा में भेद है । शिक्षा तो ज्ञान संपादन की एक पद्धति है और ज्ञान उस शिक्षा का फल है । हमने भले कितनी भी बडी सूचना और जानकारी का केंद्र बना, तो भी हम ज्ञानी नहीं बन सकेंगे । जो हमारे अस्तित्व को प्रमाणित करता है, वह ज्ञान होता है । यह सिद्धि हमारे आचार और धर्म में अंतर्भूत है । हमारा आचरण पवित्र हो, तभी हम पर्यावरण में सुधार ला सकते हैं । हमारे पूर्वजों ने हमें यह व्यवस्था हमें दी है ।
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात