देवालय के पुजारियों के अनुचित कृत्यों से लगनेवाले पाप

 १. देवालय के पुजारियों के अनुचित कृत्य तथा उन कृत्यों से उन्हें लगनेवाले पाप की मात्रा

पुजारियोंके अनुचित कृत्य पापकी मात्रा (प्रतिशत)
1. श्रद्धालुओंको अभिषेक आदिके लिए आग्रह
करना
30
2. अभिषेक न कर ही प्रसाद भेज देना 30
3. देवदर्शन हेतु बलपूर्वक धन लेना 50

कहीं-कहीं पुजारी उपर्युक्त प्रकार के अनुचित कृत्य करते हैं । इसलिए कुछ लोग पुजारीको पूजा का ‘अरि’, अर्थात शत्रु’ कहते हैं । ऐसे पुजारी अगले जन्म में देवालय के द्वारपर कुत्ता अथवा भिखारी बनकर रहते हैं ।  देवता (मूर्ति आदि) एवं ब्राह्मण की संपत्ति लेनेवाला तथा अपने स्वार्थ के लिए उसका दुरुपयोग करनेवाला शीघ्र ही कुलसहित नष्ट हो जाता है ।

 

२. मंदिर ध्वस्त करनेपर लगनेवाले पाप का परिणाम

मंदिर तोडने से घोर पाप लगता है । जिस प्रकार ईश्‍वरने श्रीकृष्ण के कारण सैकडों शिशुओंको मारने का पाप कंस के माथे मढ दिया; उसीप्रकार मंदिर तोडने का पाप नास्तिकों के माथे मढकर, ईश्‍वर उनसे पाप होने देते हैं । दुर्जनों के पाप का घडा भर जानेपर उनका नाश करने के लिए ईश्‍वर उत्सुक रहते हैं ।

संदर्भ : सनातन निर्मित ग्रंथ ‘पुण्य-पाप के प्रकार एवं उनके परिणाम

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