प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : देश की युवा पीढी अपने संस्कार और मर्यादा को भूलकर धर्म और संस्कृति से दूर जा रही है । इस दृष्टि से सनातन की महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की संकल्पना बहुत अच्छी है । इस प्रदर्शनी में मोक्षप्राप्ति हेतु साधना और माया क्या होती है, इसकी जानकारी दी गई है । मुझे क्या करना है, यह मनुष्य को ज्ञात नहीं होता । वह केवल अर्थार्जन करते आगे बढता है । इस प्रदर्शनी से मनुष्य का दिशादर्शन होग । इस प्रदर्शनी से गोरक्षा, गंगा नदी स्वच्छता, कर्मकांड एवं संस्कारों की जानकारी दी गई है । सनातन के कार्य के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं । मैं तन, मन और धन के रूप में आपकी सहायता करूंगा । मथुरा के कथावाचक स्वामी प्रणावपुरी महाराज ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से कुंभनगरी में आयोजित ग्रंथ एवं धर्मशिक्षा फलक प्रदर्शनी के अवलोकन के पश्चात वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों के समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने स्वामी प्रणावपुरी महाराज को ग्रंथप्रदर्शनी की जानकारी दी । उसके पश्चात समितिके उत्तर-पूर्व भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने उन्हें समिति द्वारा प्रकाशित ग्रंथ भेंट किया ।