सनातन की गुरुपरंपरा का स्वर्णिम दिन !
माघ पूर्णिमा के शुभदिनपर आई बहार सनातन की अनमोल गुरुपरंपरा में ।
सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी अब आगे बढाएंगी गुरुपरंपरा ॥
रामनाथी (गोवा) – गुरुपरंपरा भारत द्वारा विश्व को प्रदान की गई अमूल्य देन है । सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने गुरुकृपायोग की निर्मिती कर साधकों की साधना को शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति का राजमार्ग ही उपलब्ध कराया । अब इस पथपर अग्रसर साधकों की साधना को अगली दिशा प्राप्त हो तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विश्वव्यापी अध्यात्मप्रसार के कार्य को आगे बढाने हेतु १९ फरवरी २०१९ को भृगु महर्षिजी की आज्ञा से सनातन संस्था की अखिल भारतीय धर्मप्रसारक सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया गया ।
चेेन्नई के भृगु जीवनाडीवाचक श्री. सेल्वम्गुरुजी के माध्यम से भृगु महर्षिजी ने बताया, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को अपने आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित करने का यह शुभदिन है; इसलिए पितृपूजन के पश्चात रामनाथी आश्रम में सहस्र दीप प्रज्वलित किए जाएं । इन तीनों गुरु एकत्रितरूप से दीपप्रज्वलन करें । उनके पश्चात साधक संपूर्ण आश्रम में सहस्र दीप प्रज्वलित करें ।’’
इस समारोह में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने सद्गुरुद्वयी को श्रीं बीजमंत्र का पदक प्रदान किया । उसके पश्चात सनातन के रामनाथी आश्रम(गोवा) में सहस्र दीपदर्शन समारोह मनाया गया ।
सनातन परिवार आनंद से रोमांचित हुआ । कृतार्थ और कृतज्ञ हुआ ।
सद्गुरु चलाएंगे परात्पर गुरूदेव की धरोहर । लहलहाई सनातन गुरुपरंपरा ॥
रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन के आश्रम में संपन्न हुआ ‘न भूतो न भविष्यति’ ऐसा ‘गुरुशक्ति प्रदान समारोह’ !
रामनाथी (गोवा) – माघ पूर्णिमा का दिन सनातन के साधकों के लिए अहोभाग्य लेकर उदित हुआ ! साधकों के लिए सनातन संस्था के संस्थापक गुरुदेव परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी सर्वस्व ही हैं; परंतु सनातन के सद्गुरु और संत भी उतने ही आदरणीय और वंदनीय हैं । उनमें भी सर्वत्र के साधकों पर गुरुदेव के समान ही वात्सल्यमय कृपाछत्र रखनेवाली, महर्षि ने ‘परात्पर गुरुदेव के दो नेत्र’ कहकर गौरवान्वित की हुईं और अंतर्बाह्य गुरुमय बनीं, सनातन की आत्मा सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी साधकों के लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के समान ही श्रद्धेय हैं । परात्पर गुरुदेवजी ने उनके सहवास के प्रत्येक सजीव-निर्जीव घटक को पारस स्पर्श किया है; परंतु उस गुरुधन का सोना बनाकर गुरु द्वारा प्रदान किया हुआ सद्गुरुपद सार्थक करनेवालीं इन सद्गुरुद्वय को भृगु महर्षि की आज्ञा के अनुसार माघ पूर्णिमा अर्थात १९ फरवरी को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारी’ घोषित किया गया । तब प्रत्येक साधक को अनुभूति हुई कि साधकों के मन का भाव भृगु महर्षि ने जाना है । मन भर आया । अनजाने ही सबने हाथ जोडे, सबकी आंखें भर आईं और शीतल भावाश्रुओ से गुरुत्रय के चरणों पर जलाभिषेक हुआ । श्रीगुरु की अनन्य कृपा से इस कलियुग में भी इस अमर गुरु-शिष्य संगम का अनुभव कर पाए । इसलिए प्रत्येक साधक धन्य और कृतार्थ हो गया । चेन्नई के भृगु नाडीवाचक श्री. सेल्वम्गुरुजी के माध्यम से भृगु महर्षि के बताए अनुसार भूवैकुंठ बने रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन के आश्रम में १९ फरवरी को यह समारोह संपन्न हुआ । सनातन के ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक श्री. विनायक शानभागजी ने इस समारोह का अत्यंत भावपूर्ण सूत्रसंचालन किया ।
पूर्णत्व पर पहुंचा परात्पर गुरु डॉक्टरजी का कार्य !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के शुभ करकमलों
से सद्गुरुद्वय को ‘श्रीं’ बीजमंत्रयुक्त स्वर्णपदक प्रदान !
‘माघ पूर्णिमा अर्थात १९.२.२०१९ को परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने दोनों सद्गुरु को (सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को) ‘श्रीं’ स्वर्णपदक देते ही सर्वस्व दे दिया । उसी क्षण गुरु का कार्य पूर्णत्व पर पहुंच गया । पूर्णत्व में जो आनंद है, वह किसी में भी नहीं है ।’ – भृगु महर्षि (श्री. सेल्वम् गुरुजी के माध्यम से) (२०.२.२०१९ दिन ११ बजे)
(उसी क्षण मुझे भी उस आनंद का अनुभव हुआ । – डॉ. आठवले (१९.२.२०१९))
‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारी’ नियुक्त करना, यह सनातन संस्था के इतिहास का स्वर्णिम योग है । भृगु महर्षि ने नाडीपट्टिका में कहा है इस स्वर्णिम दिन को गुरुदेवजी दोनों सद्गुरु को (माताजी को) ‘श्रीं’ लिखा हुआ एक स्वर्ण पदक प्रदान करेें ।’ अत्यंत शारीरिक कष्ट होते हुए भी परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी इस समारोह में उपस्थित थे । यह केवल पदक न होकर आगामी कार्य के लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने सद्गुरुद्वय को दिया हुआ आध्यात्मिक बल ही है । सनातन के ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के साधक पुरोहित श्री. दामोदर वझेगुरुजी द्वारा आर्त भाव से किए हुए श्लोकपठन के घोष में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का व्यासपीठ पर आगमन हुआ । अत्यंत भावमय वातावरण में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने सद्गुरुद्वय को ‘श्रीं’ बीजमंत्र अंकित स्वर्णपदक प्रदान किया । सद्गुरुद्वय ने उसे गले में धारण किया । इस समय श्री. दामोदर वझेगुरुजी ने भावपूर्ण स्वर में श्री महालक्ष्मीअष्टक का पाठ किया । महर्षि ने अनेक बार सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को महालक्ष्मीस्वरूप कहा है । ‘सद्गुरुद्वय को ‘श्रीं’ बीजमंत्र अंकित स्वर्णपदक देकर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने उनका श्री महालक्ष्मीतत्त्व जागृत किया है’, ऐसी अनुभूति इस समय साधकों को हुई ।
साधकों को प्राप्त होनेवाला प्रकाशरूपी शक्ति का प्रतीक सहस्र दीपदर्शन समारोह !
‘सूर्य अपने प्रकाश से चंद्र को प्रकाशमान करता है, वैसा ही यह दिन रहेगा’, ऐसा कहकर भृगु महर्षि ने इस दिन सहस्रदीप दर्शन समारोह मनाने हेतु कहा था । गुरुरूपी धर्मसूर्य के प्रकाश से साधक का जीवन निखर जाता है । गुरुकृपा का प्रकाश ही उसे साधना की ऊर्जा प्रदान करता है । उसकी अनुभूति देनेवाला यह समारोह था । श्री. दामोदर वझेगुरुजी द्वारा किए मंत्रघोष में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के हाथों रखे हुए दीपक प्रज्वलित किए । उसके उपरांत सद्गुरुद्वय ने सुहागिनों के हाथों में रखे हुए दीपक प्रज्वलित किए । सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने सनातन की ६६ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधिका श्रीमती ज्योती सुदिन ढवळीकर तथा सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने सनातन की ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधिका श्रीमती लता दीपक ढवळीकर द्वारा हाथों में लिए गए दीपक प्रज्वलित किए । उसके पश्चात सुहागिनें और साधकों ने ज्योति से ज्योति प्रज्वलित करते हुए आश्रम में २ हजार दीपक प्रज्वलित कर दीपोत्सव मनाया । गुरुकार्य पूर्णत्व पर पहुंचाने के लिए सभी साधकों को ‘सहस्र दीपदर्शन’ विधि के माध्यम से प्रकाशरूप से शक्ति ही प्राप्त हुई है ।
सनातन की लहलहाती गुरुपरंपरा को संत भक्तराज महाराजजी का आशीर्वाद !
रामनाथी आश्रम के ध्यानमंदिर में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी गुरु संत भक्तराज महाराजके सजीव हुए छायाचित्र के नीचे की पंक्ति में परात्पर गुरु डॉक्टरजी की पादुकाओ की प्रतिष्ठापना की गई है । ‘गुरुशक्ति प्रदान’ समारोह के दिन सवेरे संत भक्तराज महाराजजी के छायाचित्र पर चढाए हार में से पुष्प अपनेआप गुरुपादुकाओ पर गिरा । इससे संत भक्तराज महाराज ने संकेत ही दिया है कि वे ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारी’ समारोह में उपस्थित हैं ।’