रामनाथी (गोवा) : माघ शुक्ल चतुर्दशी (१८ फरवरी) २०१९ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु अत्यंत भावपूर्ण वातावरण में कमलपीठपर दीपस्थापना विधि संपन्न हुआ । भृगु महर्षिजी ने जीवनाडीपट्टीवाचक श्री. सेल्वम्गुरुजी के माध्यम से ‘धर्मसंस्थापना के कार्य हेतु महालक्ष्मीस्वरूप तेजतत्त्व का कार्य आरंभ हो, सभी साधकोंपर तेज की कृपा हो, श्री महालक्ष्मी के कृपाशिर्वाद से हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु धन-अनाज, शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक आरोग्य तथा ऐश्वर्य आदि की संपन्नता प्राप्त हो’; इसके लिए श्री महालक्ष्मीस्वरूप (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी माघ पूर्णिमा से पहले सनातन के रामनाथी आश्रम में कमलपीठपर दीपस्थापना विधि करने के लिए कहा था । उसके अनुसार रामनाथी आश्रम के दर्शनीय भाग में निर्मित सुगंधी द्रव्यों से युक्त जलकुंड तथा उसके मध्यभागपर स्थापित अष्टदलस्वरूप कमलपीठपर (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के शुभहस्तों दीपलक्ष्मी की स्थापना की गई । स्वयं को तीव्र शारीरिक कष्ट होते हुए भी परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी इस विधि के समय उपस्थित रहे । अष्टदलकमल, उस पीठपर की जानेवाली दीपलक्ष्मी की स्थापना तथा श्री महालक्ष्मीस्वरूप सद्गुरुद्वयी के कारण वातावरण में बडी मात्रा में श्री महालक्ष्मीदेवीतत्त्व प्रक्षेपित हो रहा था । पूजाविधि के समय ‘श्री महालक्ष्मी के ही २ रूप उसके दीपलक्ष्मी रूप का पूजन कर रहे हैं’, इसकी अनुभूति हुई ।
६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक-पुरोहित श्री. दामोदर वझेगुरुजी ने विधि का पौराहित्य किया, तो ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. विनायक शानभाग ने भावपूर्ण सूत्रसंचालन किया । इस विधि के समय एस्.एस्.आर्.एफ्. के सद्गुरु सिरियाक वाले, साथ ही सनातन के संतों की वंदनीय उपस्थिति थी । इस अवसरपर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के बडे भाई श्री. अनंत आठवलेजी तथा उनकी पत्नी श्रीमती सुनीती आठवले भी उपस्थित थीं । विधि के प्रारंभ में (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने संकल्प लिया । महागणपति पूजन एवं जलकुंड में स्थित जलकुंड में वरुणदेवता का आवाहन तथा पूजन होने के पश्चात सद्गुरुद्वयी ने कमलपीठपर दीपस्थापना की । तत्पश्चात दीपलक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन तथा आरती उतारी गई ।
कमलपीठपर स्थापित दीप प्रतिदिन प्रज्वलित किया जाएगा । वेदों में यह महिमा वर्णित है कि श्री महालक्ष्मीदेवी का तेज सुवर्ण के समान है । रामनाथी आश्रम में स्थापित दीपलक्ष्मी का तेज भी सुवर्ण के समान है । जलकुंड में बेला का सुगंधित द्रव्ययुक्त जल रखा गया है । बेला के गंध की ओर श्री महालक्ष्मीदेवी का तत्त्व आकर्षित होता है । पृथ्वीपर प्रवाहित जल के अर्थात आपतत्त्व के माध्यम से सनातन के साधकों को वरुणदेवता का आशीर्वाद प्राप्त होगा ।
क्षणिकाएं
१. वरुणपूजन के समय जल में समर्पित फूल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के आगमन के पश्चात उनकी दिशा से प्रवाहित होकर एकत्रितरूप से उनकी बाजू में रुक गए, मानो वे उनके स्वागत के लिए ही एकत्रित हुए थे । ‘चैतन्य चैतन्य की ओर आकर्षित होता है’, इसकी यह प्रत्यक्ष प्रचीती थी ।
२. कमल संभवतः दिन में खिलता है; किंतु इस दिन रामनाथी आश्रम में स्थापित जलकुंड में विद्यमान कमल रात में ही खिल गए थे । इन कमलों को मानो वह रात नहीं, अपितु दिन ही लगा होगा । ‘आश्रम में रात और दिन एकसमान ही हैं तथा वह काल से भी परे हो गया है, इसका यह दर्शक है ।
३. कमलपीठ की स्थापना करने के विषय में संदेश मिलने के पश्चात सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को कमलपीठ की स्थापना का नियोजन करते समय सूक्ष्म से नियोजित स्थान दिखाई दिया । पू. (डॉ.) मुकुल गाडगीळजी को ‘आश्रम में किस स्थानपर कमलपीठ की स्थापना करनी चाहिए, इस विषय में सूक्ष्म से क्या प्रतीत होता है ?’, साथ ही उस स्थानपर कौनसे स्पंदन हैं, इसका अध्ययन करनेपर उन्हें भी वही स्थान दिखाई दिया ।
४. विधि के समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कुर्ते से सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को ‘मरवा’ नामक वनस्पती का दैवीय सुगंध आ रही थी । ‘मरवा’ भारत में उगनेवाली एक सुगंधित आयुर्वेदीय औषधीय वनस्पति है ।
कमलपीठ तथा दीप की स्थापना से ऐश्वर्य एवं संपन्नता
प्राप्त होकर सनातन का कार्य सभी स्तरोंपर बढेगा ! – भृगु महर्षिजी
भृगु महर्षिजी ने नाडीवाचन के माध्यम से बताया है कि इसके आगे पृथ्वीपर धर्मकार्य हेतु श्री महालक्ष्मीदेवी का तत्त्व अधिक कार्यरत होनेवाला है और इसकी प्रतीक के रूप में रामनाथी आश्रम में अष्टदलस्वरूप कमलपीठ की स्थापना कर उसे प्रतिदिन प्रज्वलित किया जाए । कमलपीठ की स्थापना से ऐश्वर्य एवं संपन्नता प्राप्त होकर सनातन का कार्य शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तरपर बढता ही जाएगा ।