श्रीकृष्णजी की कृपा से वर्ष २०१२ को महाशिवरात्रि के मुहूर्तपर नए स्वरूप में जालस्थान sanatan.org का शुभारंभ हुआ । शास्त्रीय परिभाषा में धर्मशिक्षा का प्रसार तथा हिन्दूहित के लिए कार्य, इन व्यापक उद्देश्यों के कार्यरत सनातन के नए स्वरूपवाले इस जालस्थान के लोकप्रियता प्रतिदिन बढ रही है ।
इस जालस्थान की विशेषता यह है कि उसपर दिए अध्यात्मशास्त्रीय ज्ञान में धर्मशास्त्रीय ज्ञान और पृथ्वीपर अनुपलब्ध ईश्वरीय ज्ञान ये दोनों अंतर्भूत हैं । इसके कारण यह जालस्थान अध्यात्मशास्त्र के जिज्ञासु से लेकर धर्मप्रसारकोंतक और हिन्दू समाज से लेकर अखिल मनुष्यजातितक के सभी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहा है ।
जालस्थान की अलौकिकता को अधोरेखित करनेवाली विशेषताएं
धर्मशिक्षा देने के उद्देश्य से इस जालस्थानपर प्रत्येक हिन्दू के लिए उसके आध्यात्मिक स्तर के अनुरूप शास्त्र बताया गया है । सर्वसामान्य व्यक्ति, प्राथमिक स्तरवाले व्यक्ति और शिष्य इन सभी के लिए उपयुक्त ज्ञान दिया गया है ।
अब जालस्थल की कुछ विशेषताएं देखेंगे !
अ. देवताओं की शास्त्रशुद्ध उपासना सिखानेवाला
आ. आनंदित जीवन जीने हेतु आचारधर्म सिखानेवाला
इ. अध्यात्म के सभी अंगों का व्यापक ज्ञान देकर अध्यात्म के प्रत्येक कृत्य के संदर्भ में शास्त्रीय परिभाषा में उत्तर देनेवाला
ई. अध्यात्म के प्रति जिज्ञासा को जागृत कर साधना सिखानेवाला
उ. गृहस्थि में रहकर भी साधना कैसे की जाती है ?, इस विषय में मार्गदर्शन करनेवाला
ऊ. भूतलपर कहींपर भी अनुपलब्ध ज्ञान प्रदान करनेवाला
ए. शीघ्र ईश्वरप्राप्ति हेतु गुरुकृपायोग सिखानेवाला
ऐ. साधकों की तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति हेतु प्रयासरत
ओ. बलशाली हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु कार्यरत
औ. संतों के मार्गदर्शन में सिद्ध किए गए इस जालस्थान के माध्यम से आध्यात्मिक उपाय होना, इस विशेषतावाला एकमात्र जालस्थान !