सनातन संस्था का कार्य अद्वितीय है ! – श्री श्री १००८ श्री महंत काशीदास महात्यागी महाराज

(दार्इं ओर) श्री श्री १००८ श्री महंत काशीदास महात्यागी महाराज के साथ विचारविमर्श करते हुए (बार्इं ओर) सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे तथा पू. नीलेश सिंगबाळ

प्रयागराज (कुंभनगरी) : सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ग्रंथ एवं धर्मशिक्षण फलक प्रदर्शनी को दहिसर (मुंबई) के श्री श्री १००८ श्री महंत काशीदास महात्यागी महाराज ने भेंट दी । उस समय उन्होंने प्रतिपादित किया कि, ‘सनातन संस्था का कार्य अद्वितीय है । तुम पर ईश्वर की महान कृपा है । वर्तमान के कलियुग में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के समान महापुरुषों की आवश्यकता है ।’ सनातन के धर्मप्रसारक श्री. अभय वर्तक ने उन्हें ग्रंथप्रदर्शनी की जानकारी दी । तत्पश्चात् हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे तथा उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळ ने उनके साथ ‘राष्ट्र एवं धर्म’ इस विषय पर विचारविमर्श किया ।

श्री श्री १००८ श्री महंत काशीदास महात्यागी महाराज ने बताया कि, ‘‘तुम घर, प्रपंच संभालकर लोगों को धर्म के मार्ग पर ला रहे हैं । तुम्हारा यह कार्य अत्यंत महान है । सनातन के समान संस्था की आज अत्यंत आवश्यकता है । ऐसे धर्मप्रसार करनेवाले जिन माता-पिताओं के पेट में जन्म लेते हैं, उनकी ७ पिढीयों का उद्धार होता है । निःस्वार्थी रूप से कार्य करना, एक प्रकार की तपश्चर्या है । अतः आगे अनेक पिढीयां अपना नाम स्मरण करेंगी । कलियुग का पहला स्तर आरंभ है । इस में सर्व हिन्दुओं को जागृत कर धर्म के पथ पर लाने की आवश्यकता है । लोगों को मांसाहार से शाकाहार की ओर मुडाना, जनता को विभिन्न व्यसनों से परावृत्त करना । ऐसे करने से ही दारिद्रय दूर हो सकता है । सरकार कहती है कि, दारिद्र्य हटाओ !’; किंतु वह कैसे हटाएंगा ? यदि प्रत्येक व्यक्ति सत्मार्ग पर चले, तो ही व्यसनों से दूर रहकर दारिद्र्य दूर हो सकता है ।’’

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