प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी बहुत बडा धर्मकार्य कर लोगों को धर्म की शिक्षा दे रहे हैं । वे छोटी-छोटी बातों से धर्मरक्षा तथा संगठन की बडी प्रेरणा दे रहे हैं । मुझे ऐसा लगता है कि वे ईश्वरीय कार्य कर रहे हैं । धर्म के कारण ही ईश्वर, स्व एवं आत्मा का परिचय होता है । अच्छा समाज, परमात्या और स्वयं की उन्नति हेतु पहले भी धर्म की आवश्यकता थी, आज भी है और इसके आगे भी रहेगी ।
सद्गुरु (डॉ) चारुदत्त पिंगळेजी और उनके साधकगण बहुत बडा कार्य कर रहे हैं । मेरा भी ऐसा ही कार्य है । शास्त्र यह बताता है कि हमने धर्म की रक्षा की, तो धर्म हमारी रक्षा करेगा । श्रीरामकथा तथा श्रीमद्भागवत कथावाचक पू. कात्यायनीदेवी ने ८ फरवरी को ऐसा प्रतिपादित किया ।
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से कुंभनगरी में आयोजित ग्रंथ एवं धर्मशिक्षाफलक प्रदर्शनी के अवलोकन के पश्चात वे ऐसा बोल रही थीं । इस अवसरपर उनके साथ आचार्य गंगासागर भी उपस्थित थे । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ) चारुदत्त पिंगळेजी तथा उत्तर-पूर्व भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने उनके साथ राष्ट्र एवं धर्म के कार्य के विषयपर चर्चा की ।
पू. कात्यायनीदेवी ने आगे कहा, ‘‘जब-जब अधर्म प्रबल हो जाता है, तब-तब प्रत्येक युग में धर्म एवं साधुओ की रक्षा हेतु ईश्वर अवतार धारण करते हैं । आज मनुष्य धर्म से दूर जा रहा है । ऐसा न हो; इसके लिए जनजागृति की आवश्यकता है । प्रत्येक मनुष्य को धर्म को जानकर लेना चाहिए; क्योंकि किसी भी युग में धर्म के बिना अध्यात्म कभी नहीं हुआ है । धर्म के कारण ही आध्यात्मिक स्तर बनता है और अध्यात्म का ज्ञान मिलता है ।’’