सारिणी
१. सनातन-निर्मित ‘दत्तात्रेयकी सात्त्विक नामजप-पट्टी’
२. दत्तात्रेयकी नामजपपट्टीके अन्य सूत्र
१. सनातन-निर्मित ‘दत्तात्रेयकी सात्त्विक नामजप-पट्टी’
सात्त्विक अक्षरोंमें चैतन्य होता है । सात्त्विक अक्षर और उनके चारों ओर निर्मित देवतातत्त्वके अनुरूप चौखटसे युक्त संबंधित देवताके नामजपकी पट्टियां सनातन बनाता है । ये नामजप-पट्टियां संबंधित देवताके तत्त्व अधिक आकर्षित एवं प्रक्षेपित करती हैं । दत्तात्रेयसहित विविध देवताओंकी कुल ८० से अधिक नामजप-पट्टियां अबतक सनातनने बनाई हैं ।
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सूक्ष्म-ज्ञानविषयक चित्रमें अच्छे स्पंदनकी मात्रा : २ प्रतिशत’ – प.पू. डॉ. आठवले
‘सूक्ष्म-ज्ञानविषयक चित्रमें विविध स्पंदनोंकी मात्रा : चैतन्य २ प्रतिशत, शक्ति ५ प्रतिशत और कष्टप्रद शक्ति दूर होना १.२५ प्रतिशत
२. दत्तात्रेयकी नामजपपट्टीके अन्य सूत्र
सनातन-निर्मित दत्तात्रेयकी नामजप-पट्टीमें प्रयुक्त अक्षरोंकी रचना संतोंके मार्गदर्शन अनुसार की जाती है । इसलिए उसमें अधिक मात्रामें चैतन्य आकर्षित होता प्रतीत होना ।
२ अ. सगुण-निर्गुण स्तरपर लाभ होना
सनातन-निर्मित दत्तात्रेयकी नामजपपट्टीमें देवताका रूप और नाम दोनों होनेके कारण उस नामपट्टीसे सगुण-निर्गुण स्तरपर लाभ होता है ।
२ आ. तारक और मारक दोनों तत्त्व आवश्यकतानुसार मिलना
नामजप-पट्टीमें देवताके तारक और मारक दोनों शक्तियोंके तत्त्व समाविष्ट हैं । इस कारण, इस नामजप-पट्टीसे प्रत्येकको आवश्यक तत्त्वका लाभ मिलता है ।
३. दत्तात्रेयमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीनों तत्त्व समाविष्ट होनेके कारण उनकी उपासनासे किसी व्यक्तिको पितृदोषके कारण होनेवाला कष्ट दूर होना
‘दत्तात्रेय’ देवतामें ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं एवं उनकी शक्तियोंका समावेश है । इस कारण इनमें प्रत्येक व्यक्तिके कुटुंबका गोत्र, कुल, कुलदेवता, महापुरुषोंके तत्त्व एक साथ समाविष्ट होते हैं । इसलिए इनकी उपासनासे पितृदोषके कारण होनेवाले कष्टका तुरंत निवारण होकर परिवारको लाभ होता है ।’ – कु. प्रियांका लोटलीकर, सनातन संस्था, गोवा. (आश्विन शु. १, कलियुग वर्ष ५११३ (२८.९.२०११))