प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : राष्ट्र के विकास के लिए जल, भूमि और संस्कृति इन ३ तत्त्वों की आवश्यकता होती है, जिस में तीर्थस्थान, नदी, पर्वत, कृषि ऐसे स्थानों में रहनेवाला समरस समाज होता है । जाति, क्षेत्र, भाषा, शिक्षा, लिंग से युक्त भूमि को वह माता मानता है । इस भूमि में रहनेवालों को एक-दूसरे का साथ जोडनेवाली संस्कृति होती है । इसे ही हम सनातन संस्कृति अर्थात धर्म कहते हैं । सनातन संस्कृति एवं धर्म का परिचय कैसे हो सकता है ?, उनके प्रति मनुष्य में विश्वास, श्रद्धा और समर्पण का भाव कैसे जागृत होगा ? तथा आज की वैज्ञानिक दृष्टि से हम इसे कैसे समझकर ले सकते हैं ?, इसे ध्यान में रखकर सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी का प्रयोजन है । सनातन संस्था ने इस प्रदर्शनी के माध्यम से भारतीय युवक, नागरिक, अपनी भूमि, जीवनमूल्य, साहित्य, खान-पान की पद्धतियां, औषधियां, भाषा और संस्कृति को जोडने का अनोखा और अद्भुत प्रयास किया है । आप का कार्य बहुत अच्छा है, ऐसा मैं मानता हूं । मैं संपूर्ण देश में भ्रमण कर जानकारी लेता रहता हूं, उसमें सनातन की प्रदर्शनी सबसे अच्छी है । यह प्रदर्शनी उत्कृष्ट है और मुझे बहुत अच्छी लगी । दिव्य प्रेम सेवा मिशन के अध्यक्ष के रूप में सनातन के प्रति यह समर्पित विश्वास व्यक्त करता हूं कि जब-जब मेरी आवश्यकता पडेगी, तब मैं निश्चितरूप से यथाशक्ति सनातन संस्था से सहयोग करूंगा । दिव्य प्रेमा मिशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गौतम (गाजियाबाद) ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
उन्होंने हाल ही में कुंभपर्व में सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी का अवलोकन किया । उनके साथ मिशन के आचार्य शंतनु भी थे । इस अवसरपर सनातन के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने उन्हें प्रदर्शनी की विस्तृत जानकारी दी । उसके पश्चात हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने डॉ. आशीष गौतम एवं आचार्य शंतनु को सम्मानित किया । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी इन दोनों के साथ संवाद कर राष्ट्र एवं धर्म कार्य के संबंध में उनसे चर्चा की ।
सनातन संस्था इस प्रदर्शनी के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र स्थापना
के सार्थक प्रयास कर रही है ! – आचार्य शंतनु, दिव्य प्रेमा सेवा मिशन
इस प्रदर्शनी का अवलोकन करनेपर वर्तमान पीढी और आनेवाले पीढी के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खाते । इस दृष्टि से इन पीढीयों के हितों की रक्षा के लिए तथा इन पीढीयों को एकत्रित करने हेतु सनातन संस्था सार्थक प्रयास कर रही है । इस प्रदर्शनी में विद्यमान साहित्य को देखकर यह संस्था भारत में निश्चितरूप से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु सार्थक प्रयास कर रही है, यह ध्यान में आता है । इन प्रयासों को सफलता मिलकर भारत में यथाशीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो तथा विश्व में भारत की ध्वजा लहराएं, यह मैं ईश्वर के चरणों में प्रार्थना करता हूं ।