इस स्तंभ के माध्यम से हमारे पाठकों को प्रयागराज का स्थलदर्शन, कुंभपर्व में सहभागी विविध अखाडों, उनकी पेशवाई शोभायात्राएं, संत-महंतों के दर्शन, त्रिवेणी संगमपर भक्तिभाव से स्नान करने आए हिन्दुओं के मुखमंडलोंपर विद्यमान उत्कट भाव, हिन्दू धर्म की ख्याति सुनकर सातसमुद्रपार कर आनेवाले विदेशी लोगों का कुंभ में सहभाग आदि का छायाचित्रण तथा इस विषय में विशेषतापूर्ण जानकारी देने का हमारा प्रयास रहेगा । इससे पाठकों को हिन्दू धर्म का अनन्यसाधारण महत्त्व तथा साधना क्यों आवश्यक है ?, यह समझ में आ जाएगा । इस स्तंभ के कारण आपको निश्चितरूप से घरबैठे भक्तिभाव का तनिक अनुभव होगा; किंतु ऐसा होते हुए भी आगामी संकटकाल में केवल साधना ही हमारी तारणहार सिद्ध होगी, यह निश्चित है !
विदेशी नागरिकों को कभी कोई लालच नहीं दिखाया जाता; परंतु केवल हिन्दू धर्म की अद्वितीय एवं परिपूर्ण सीख के कारण वे हिन्दू धर्म का स्वीकार करते हैं, तो दूसरी ओर अन्य धर्मीय कपटनीति को अपनाकर विविध लालच दिखाकर तथा हिन्दू धर्म के विषय में भोलेभाले हिन्दुओं के मन दूषित कर उनका धर्मांतरण करवाते हैं ! कुंभपर्व के समय हिन्दू धर्म की यह महिमा सूर्यप्रकाश की भांति विश्व के सामने आती है !
प्रयागराज (कुंभनगरी) : विश्व का सबसे बडे महासंगठन कुंभपर्व में भव्यता एवं अध्यात्म का महत्त्व समुद्र की भांति अतिविशाल है । कुंभनगरी में कदम-कदमपर श्रद्धा एवं भक्ति की गंध आती है । यहां निर्धन-धनवान, जाति आदि भेद नहीं किए जाते । इसलिए कुंभपर्व केवल भारतीयों के लिए ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के लिए श्रद्धा एवं आकर्षण का केंद्र बन गया है । प्रयागराज में चल रहे कुंभपर्व में विदेशी श्रद्धालुओं ने भी श्रद्धा के साथ त्रिवेणीसंगमपर स्थित गंगा नदी में अमृतस्नान किया ।
कुंभपर्व हेतु आए विदेशी श्रद्धालु हिन्दू धर्म का एक भाग बन रहे हैं ।
१९२ देशों को कुंभपर्व का निमंत्रण !
प्रयागराज के कुंभपर्व में सहभागी होने हेतु उत्तर प्रदेश की सरकार ने १९२ देशों को निमंत्रण दिया था । शासन ने दिसंबर मास से ही इन सभी देशों के प्रतिनिधियों को प्रयागराज बुलाकर कुंभपर्व की सिद्धता में सहभागी कर लिया था ।
पर्यटन में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थानपर !
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार कुंभ का वैश्विक ब्रैन्डिंग किया है । देश में उत्तर प्रदेश पर्यटन में दूसरे, तो विदेशी पर्यटकों के आने के संदर्भ में देश में तीसरे स्थानपर है । अधिकतर विदेशी पर्यटक उत्तर प्रदेश में चैतन्य अर्जित करने तथा अध्यात्म हेतु आते हैं । सरकार ने पर्यटन को बढावा देने के लिए राजधानी लक्ष्मणपुरी में ‘उत्तर प्रदेश ट्रैवल मार्ट’ का आयोजन किया था । विदेशी यात्री संचालकों के लिए वाराणसी, काशी, आगरा, मथुरा, वृंदावन, बुंदेलखंड, बुद्ध सर्किट तथा अन्य पर्यटनस्थलों के दौरों का आयोजन किया गया था ।
विदेशी साध्वी : कौतुहल का विषय !
विदेशी साध्वी इस कुंभपर्व में सहभागी श्रद्धालुओं के लिए कौतुहल का विषय बन गई हैं । कुंभपर्व में अनेक विदेशी संत और साध्वी आई हैं । विदेशी श्रद्धालु पूर्णरूप से तल्लीन होकर अध्यात्म में प्रवाहित हो जाते हैं । कुंभपर्व में अधिकांश संतों के पास विदेशी शिष्य भी दिखाई देते हैं । विदेशी श्रद्धालु स्थानीय श्रद्धालुओं की भांति संतों के चरणों में बैठे होते हैं ।
विदेशी लोगों का कुंभपर्व की धार्मिक कृतियों में सहभाग !
विदेशी श्रद्धालुओं का एक बडा समूह है । यह श्रद्धालु स्थानीय लोगों की भांति ही वेशभूषा कर हिन्दू धर्म के अनुसार पारंपरिक पद्धति से पूजा-अर्चना कर रहे हैं । साथ ही विविध स्थानोंपर एकत्रितरूप से धार्मिक अनुष्ठान और हवन करतेह हुए दिखाई दे रहे हैं । विदेशी श्रद्धालु सुबह और सायंकाल में त्रिवेणी संगमपर आरती के लिए भी उपस्थित होते हैं । कुंभपर्व की सभी धार्मिक कृतियों में उनके इस सहभाग को देखकर स्थानीय श्रद्धालु दंग रह जाते हैं ।
शरीरस्वास्थ्य बनाए रखने हेतु सतर्क विदेशी !
विदेशी श्रद्धालु अपना शरीरस्वास्थ्य बनाए रखने हेतु सदैव सतर्क रहते हैं । इस कुंभपर्व में उसकी भी प्रचीती हुई । कुंभपर्व में अनेक विदेशी श्रद्धालु प्रतिदिन एकत्रित होकर योगासन करते हुए दिखाई देते हैं । त्रिवेणी संगम के रेतपर योगासन का यह दृश्य देखने के लिए मिलता है ।
विदेशी श्रद्धालुओं द्वारा गंगा नदी की स्वच्छता !
‘गंगा एक्शन प्लैन’ तथा गंगा नदी की स्वच्छता के लिए स्थानीय साधुओं के साथ विदेशी श्रद्धालु भी प्रतिदिन त्रिवेणी संगम की स्वच्छता करते हैं । इसके लिए विदेशी श्रद्धालुओं का एक अलग समूह है । ये विदेशी श्रद्धालु देशी श्रद्धालुओं के साथ स्वच्छता अभियान में भाग लेते हैं । कुंभनगरी में विदेशी श्रद्धालु पर्यावरण की रक्षा का संदेश देते हैं ।
टेम्पो और रिक्शों में से विदेशी लोगों की यात्रा !
भारत के अनेक तीर्थस्थलों में टेम्पो और रिक्शों में से अनेक श्रद्धालु यात्रा करते हुए दिखाई देते हैं, साथ ही कुंभनगरी में भी भारतीय श्रद्धालुओं के साथ विदेशी श्रद्धालु भी टेम्पो और रिक्शों से यात्रा कर रहे हैं । विदेशों में उन्हें इस प्रकार की यात्रा करने की भले ही आदत न हो; परंतु वे यहां वे इस प्रकार से यात्रा कर रहे हैं ।
विदेशी श्रद्धालु हिन्दू धर्म का भाग बनते जा रहे हैं !
कुंभपर्व केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं, अपितु विदेशी नागरिकों के लिए भी श्रद्धा का परमोच्च शिखर है । अखिल मनुष्यजाति का उद्धार करनेवाले इस कुंभपर्व में सहभागी होना सौभाग्य है !
विदेशी श्रद्धालु कुंभपर्व में केवल घूमने के लिए अथवा केवल पूजा-अर्चना करने नहीं आते, अपितु वे हिन्दू धर्म का एक भाग बनते जा रहे हैं । अनेक विदेशी श्रद्धालु कुंभपर्व में उपस्थित संतों से दीक्षा लेते हैं । वर्ष २०१३ के कुंभपर्व में १ सहस्र २६० विदेशी श्रद्धालुओं ने संतों से दीक्षा ली थी । इनमें से ९०० लोग २५ से ३० वर्ष की आयुसमूह के थे ।