सारिणी
१. सनातन-निर्मित दत्तात्रेय देवताका सात्त्विक चित्र
२. सनातन-निर्मित ‘दत्तात्रेयके सात्त्विक चित्र’की सूक्ष्म-स्तरीय विशेषताएं दर्शानेवाला चित्र
३. चित्रमें विद्यमान चार श्वानोंके स्थानपर शक्तिके वलय दिखाई देना
१. सनातन-निर्मित दत्तात्रेय देवताका सात्त्विक चित्र
२. सनातन-निर्मित ‘दत्तात्रेयके सात्त्विक चित्र’की सूक्ष्म-स्तरीय विशेषताएं दर्शानेवाला चित्र
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चित्रमें अच्छे स्पंदन : ३ प्रतिशत
‘सूक्ष्म-ज्ञानविषयक चित्रमें विविध स्पंदनोंकी मात्रा : शांति ४ प्रतिशत, आनंद २ प्रतिशत, चैतन्य ४ प्रतिशत और शक्ति (तारक) २ प्रतिशत चित्रमें शक्तिकी मात्रा अल्प है ।
अ. चित्रमें शक्तिकी मात्रा अल्प है । चित्रसे शांतिके स्पंदन प्रक्षेपित होते है ।
३. चित्रमें विद्यमान चार श्वानोंके स्थानपर शक्तिके वलय दिखाई देना
दत्तात्रेयके चित्रमें विद्यमान ४ श्वान चार वेदोंके प्रतीक होनेके कारण उनके स्थानपर आगे दिए अनुसार चार विविध रंगोंके वलय दिखाई दिए । चित्रमें दत्तात्रेयके पीछे स्थित उदुंबर (गूलर) के वृक्षके स्थानपर दत्तात्रेयका सगुण चैतन्य प्रतीत होता है । इस चित्रकी ओर देखनेपर ज्ञात होता है कि ब्रह्मा, श्रीविष्णु और महेश ये तीनों देवता-तत्त्व आपसमें मिल गए हैं ।
अ. सनातन-निर्मित देवताओंके चित्रोंमें देवताओंके नेत्र अत्यंत सजीव और वाचाल होनेके कारण वे हमारी ओर ही देख रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है ।’ – कु. प्रियांका लोटलीकर, सनातन संस्था (आश्विन शु. ४, कलियुग वर्ष ५११३)
(श्री गणपति, श्रीराम, हनुमान, शिव, श्री दुर्गादेवी, श्री लक्ष्मी और श्रीकृष्ण इन देवताओंके भी विविध आकारोंमें सात्त्विक चित्र सनातनने निर्मित किए हैं ।)