परात्पर गुुरु पांडे महाराज जी का अमूल्य विचारधन
आपदा के समय साधक निम्नलिखित श्लोक का सुबह एवं सायंकाल के समय २१ बार उच्चारण करें –
यो अन्धो यः पुनःसरो भगो वृक्षेष्वाहितः ।
तेन मा भगिनं कृण्वप द्रान्त्वरातयः ॥
– अथर्ववेद, कांड ६, सूक्त १२९, मंत्र ३
अर्थ : हे ईश्वर, आप में जो ऐश्वर्य, बल, वीर्य, यश तथा जीवन को नित्य धारण करनेवाली जो अमोघ एवं शाश्वत चैतन्यशक्ति है, वही शक्ति वृक्षों में भी विद्यमान है । इस चैतन्य के कारण ही वृक्ष की शाखाआें को बार-बार काटकर भी वह हराभरा दिखाई देता है । आप मुझे भी इसी प्रकार का ऐश्वर्य, वीर्य और बल प्रदान करें, जिससे कि मेरे शत्रु, साथ ही मुझपर आई आपदाएं दूर हो सकें !