देवी के चरणस्पर्श की परंपरा को समझ लेना आवश्यक ! – श्रीमती नयना भगत, प्रवक्ता, सनातन संस्था

मराठी समाचारवाहिनी ‘जय महाराष्ट्र’ पर ‘लिमिटेड देवतादर्शन’ विषयपर परिचर्चा !


मुंबई : छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से ही भोपे पुजारियों की धर्मपत्नियों द्वारा देवी के चरणस्पर्श की परंपरा है । शिवाजी महाराज के समय अफजलखान ने मूर्ति को भ्रष्ट करने का प्रयास किया था; परंतु उस समय आक्रमण में यह मूर्ति नष्ट न हो; इसके लिए भोपे समुदाय के पुजारियों ने इस मूर्ति को छिपाकर रखा था । तत्पश्‍चात इस मूर्ति का विधिवत पूजन किया गया। देवी का अनादर रोकने हेतु उनके द्वारा किए गए इस पराक्रम का संज्ञान लेकर शिवाजी महाराज के समय में उन्हें यह सम्मान दिया गया है । इस दृष्टि से देवी के चरणस्पर्श की इस परंपरा को समझ लेना आवश्यक है । सनातन संस्था की प्रवक्ता श्रीमती नयना भगत ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

यह परंपरा शिवाजी महाराज के समय की परंपरा है, इसे समझ न लेकर तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश कर देवी के चरणस्पर्श करनेवाली महिलाओ का अभिनंदन किया । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन विशाल पाटिल ने किया ।

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