इंदौर (मध्यप्रदेश) – सनातन के आस्थाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराज के शिष्य प.पू. रामानंद महाराज (दादा) की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला रामचंद्र निरगुडकर (आयु ८२ वर्ष) का १२ नवंबर कोे निर्वाण हुआ । गत ढाई वर्ष से वे व्याधिग्रस्त थीं । इस संदर्भ में प.पू. भक्तराज महाराज के भक्तवात्सल्य आश्रम के न्यासी श्री. अनिल जोग ने बताया, अक्का देह से व्याधिग्रस्त थी, परंतु ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनका चित्त ईश्वरचरणों में है । शारीरिक कष्ट होते हुए भी वे स्थिर और शांत थीं ।
अक्का के पार्थिव पर इंदौर की रामबाग स्थित मुक्तिधाम स्मशानभूमि में अंतिम संस्कार किए गए । इस अवसर पर प.पू. भक्तराज महाराज के अनेक भक्त उपस्थित थे । तत्पूर्व कुछ समय तक उनका पार्थिव प.पू. भक्तराज महाराज के आश्रम में दर्शन हेतु रखा गया था । अक्का ने संत पूर्णपुरुषोत्तमाचार्य, प.पू. भक्तराज महाराज और प.पू. रामानंद की सेवा की थी ।
प.पू. रामानंद महाराज (रामजीदादा) की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला रामचंद्र निरगुडकर ने की सेवा
प.पू. रामानंद महाराज ने निरंतर बाबा के साथ (प.पू. भक्तराज महाराज के साथ) रहकर बाह्य व्यवहार देखा, तो घर के व्यवहारों को अक्का ने निभाया । प्रथम प.पू. श्री अनंतानंद साईश और तदुपरांत बाबा ने लगभग २५ वर्ष रामबाग स्थित प.पू. रामानंद महाराज के पुराने घर को आश्रम ही बनाया था । दो कक्ष में बसी गृहस्थी में बाह्य कक्ष में प.पू. श्री साईश अथवा बाबा रहते और भीतर के कक्ष में प्रतिदिन ही दिन-रात चलनेवाले भंडारे के लिए भोजन बनाना, दर्शन हेतु आए भक्तों के लिए चाय-पानी बनाना इत्यादि, यही था अक्का का जीवन । छोटे बच्चे, निर्धनता, अतिपरिश्रम के कारण स्वास्थ्य ठीक न रहना आदि अडचनें होते हुए भी उन्होंने कभी सेवा में खंड नहीं होने दिया । घर आए अतिथियों का उन्होंने निरंतर प्रसन्नता से स्वागत किया । श्रीमती अक्का ने यह सेवा अनेक वर्षों तक की । उनके मन में भूल से भी कभी अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में विचार नहीं आया । जीवनभर गुरुचरणों की सेवा करने का अवसर प्राप्त होने के कारण जीवन कृतार्थ हुआ है, ऐसा भाव उनके साथ वार्तालाप करते समय सहजता से ध्यान में आता था ।
संदर्भ : हिन्दी सनातन प्रभात