भाग्यनगर : हाल ही में भाजपा में सम्मिलित इस्त्रो के पूर्व वैज्ञानिक जी. माधवन नायर ने प्रश्न उठाते हुए कहा है कि शबरीमला मंदिर में १० से ५० वर्ष आयुसमूह की महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती, यह वहां के लोगों की परंपरा और श्रद्धा है । इसके लिए किसी भी प्रकार के कानून की कोई आवश्यकता नहीं है । मुसलमान, ईसाई तथा सीख्ख पंथियों में भी ऐसी कई परंपराएं हैं । तो क्या सरकार अथवा न्यायालय उनकी इन परंपराओ का कभी संज्ञान लेते हैं ? इस विषय में केवल हिन्दुओ को ही क्यों लक्ष्य बनाया जाता है ? नायर ने शबरीमला मंदिर में २ महिलाओ द्वारा प्रवेश किए जाने की घटना की भी आलोचना की । उन्होंने यह भी कहा कि रात के अंधेरे में ऐसा कोई भी कर सकता है । इसके लिए राज्य सरकार का समर्थन था ।