सदगुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के नेतृत्व में महर्षि अध्यात्म
विश्वविद्यालय के गुट की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अध्ययन यात्रा’
इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर ८७ प्रतिशत लोग हिन्दू हैं । बाली के मंदिरों को ‘पूरा’ नाम से जाना जाता है । उनमें पूरा बेसाखी, पूरा तीर्थ एंपूल, पूरा तनाह लोट और पूरा उलुवातू प्रमुख हैं । आज हम उनमें से पूरा तीर्थ एंपूल, पूरा तनाह लोट और पूरा उलुवातू , इन मंदिरों की जानकारी लेंगे ।
१. पूरा तीर्थ एंपूल : पवित्र अमृत तीर्थ के पास
विद्यमान श्रीमन्नारायण के लिए बनाया गया यह मंदिर
बाली की राजधानी देनपासर से ३५ कि.मी. दूर तंपकसिरिंग गांव के निकट एक बडा तीर्थक्षेत्र है । यहां एक मंदिर भी है । ऐसा कहते हैं कि इस मंदिर को श्रीमन्नारायण के लिए बनाया गया होगा । इस तीर्थ को बाली के हिन्दू पवित्र अमृत तीर्थक्षेत्र’ मानते हैं । इस तीर्थक्षेत्र में स्नान करने से चर्मरोग और अन्य व्याधियां दूर होती है’, ऐसी श्रद्धालुआेेंं की श्रद्धा है । (छायाचित्र क्र. १ देखें ) इसलिए अनेक श्रद्धालु इस तीर्थक्षेत्र में स्नान के लिए आते हैं । इस तीर्थक्षेत्र से ५० मीटर दूर मुख्य मंदिर है और उस मंदिर के पास मुख्य स्वयंभू तीर्थक्षेत्र है ।
२. पूरा तनाह लोट : वरुणदेवता अथवा समुद्रदेवता के लिए बनाया मंदिर
बाली में ७ सागर मंदिर हैं । उनमें से एक है तनाह लोट मंदिर’ । (छायाचित्र क्र. २ देखें) बालिनी भाषा में तनाह लोट’ का अर्थ है समुद्री भूमि’। समुद्री भूमि कहने का एक कारण यह भी है कि यह मंदिर समुद्र में है किन्तु भूमि से सटा है । बाली के हिन्दुआें का कहना हैं कि इस मंदिर के नीचे अनेक विषैले नाग हैं । ये नाग मंदिर की निरंतर रक्षा करते हैं । यह मंदिर निरर्थ नामक एक ऋषि ने वरुणदेवता अथवा समुद्रदेवता के लिए बनाया होगा । यह मंदिर बाली की राजधानी देनपासर नगर से २० कि.मी. दूर है । मंदिर में कोई भी मूर्ति नहीं है केवल एक पूजापीठ है । इसे ‘पद्मासन’ कहते हैं ।
३. पूरा उलुवातू : रुद्र के लिए बनाया मंदिर
बाली की राजधानी देनपासर नगर से दक्षिण में २० कि.मी. दूर पूरा उलुवातू मंदिर समुद्र तट पर है । समुद्र से ७० मीटर की ऊंचाई पर एक बडे टीले पर यह मंदिर है । मंदिर के नीचे देखने पर तीनों ओर विशाल समुद्र दिखता है । यह मंदिर बाली के ७ सागर मंदिरों में से एक है । ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर निरर्थ नामक ऋषि ने रुद्र के लिए बनाया होगा । इसी स्थान पर निरर्थ ऋषि का निर्वाण हुआ; इसलिए इस स्थान पर प्रति वर्ष उनके लिए एक उत्सव मनाया जाता है । इस मंदिर के परिसर में अनेक बंदर हैं । यहां के बंदरों पर वैज्ञानिकों ने शोध किया गया और उन्होंने बताया है कि ये बंदर अन्य बंदरों से अलग हैं । इस मंदिर के पास प्रतिदिन सायं पर्यटकों के लिए स्थानीय पारंपारिक कचक नृत्य प्रस्तुत किया जाता है ।’
– श्री. विनायक शानभाग, चेन्नई