सोते समय बक्सों से उपचार करना
रात में अनिष्ट शक्तियां अधिक कष्ट देती हैं । इसलिए विकारग्रस्त व्यक्ति के लिए दिन के साथ-साथ रात में सोते समय भी बक्सों से उपचार करना आवश्यक होता है । विकाररहित व्यक्ति भी रात में सोते समय अपने लिए सुरक्षा-कवच बनाने हेतु बक्सों का उपयोग करेंगे, तो अच्छा रहेगा ।
१. बिछौने के चारों आेर बक्से रखकर उपचार करने संबंधी सूचना
१ अ. व्यक्ति जिस ऊंचाई पर (भूमि अथवा पलंग पर) सोता है, उस ऊंचाई पर बक्से रखें ।
- पलंग के चारों आेर बक्सों को कुर्सी, स्टूल, टीपॉय इत्यादि पर इस प्रकार रखें कि पलंग के ऊपरी किनारे आैर बक्से के निचले किनारे लगभग एक सीध में आएं । पलंग और बक्से समान ऊंचाई पर रखना संभव न हो, तो उन्हें अल्प ऊंचाई पर अथवा भूमि पर रखें । बक्सों को समान ऊंचाई पर रखने से जितना लाभ होता है, उससे २० – ३० प्रतिशत ही लाभ तब होता है, जब वे समान ऊंचाई पर नहीं होते । इसलिए प्रयास यही रहे कि बक्सा और पलंग समान ऊंचाई पर हों । बक्से समान ऊंचाई पर रखने में कठिनाई हो, तब उन्हें एेसे कोण में रखें कि उनका खुला भाग पूर्णतः व्यक्ति की आेर रहे । बक्सा तिरछा करने के लिए उसके नीचे लकडी का गुटका रख सकते हैं । (आकृति देखें । इसमें सुविधा के लिए केवल २ बक्से दिखाए हैं ।)
- पलंग के एक अथवा दो किनारे भीत से (दीवार से) सटे हों, तब सोने के पहले पलंग आगे खींचकर उसकी ऊंचाई पर बक्से रखें । (पलंग आगे सरकाना संभव न हो, तब भीत की आेर बिछौने के किनारों पर छोटे बक्से रखें । यद्यपि छोटे बक्सों से बडे बक्सों की तुलना में अल्प लाभ होता है; परंतु बक्सा न रखने से तो छोटा बक्सा रखना अच्छा है ।)
१ आ. बक्से बिछौने से लगभग ३० सें.मी. (एक फुट) दूर रखें । यह दूरी १० सें.मी. अल्प-अधिक हो सकती है । स्थान के अभाव में यह दूरी इससे भी अल्प हो सकती है ।
१ इ. सूत्र ‘२ अ’ की आकृति में दिखाए अनुसार बक्से आडे रखें । इससे शरीर का अधिकाधिक भाग बक्सों के उपचारक्षेत्र में आएगा ।
२. एक अथवा एक से अधिक विकारग्रस्त व्यक्ति एक साथ सोते हों, तब बक्सों से उपचार करना
२ अ. एक विकारग्रस्त व्यक्ति सोनेवाला हो, तब बक्से कैसे रखें ?
विकारग्रस्त व्यक्ति के बिछौने के चारों आेर निम्नांकित प्रकार से बक्से रखें ।
२ अ १. विकारग्रस्त व्यक्ति के सिर के ऊपर सीधी रेखा में एक बक्सा रखें । बक्से का खुला भाग सिर की आेर हो ।
२ अ २. विकारग्रस्त व्यक्ति के पंजों के नीचे सीधी रेखा में एक बक्सा रखें । बक्से का खुला भाग पंजों की आेर हो ।
२ अ ३. विकारग्रस्त व्यक्ति के बाएं व दाएं २-२ बक्से रखें । इनका खुला भाग विकारग्रस्त व्यक्ति के उपचार किए जानेवाले अंग या स्थान की आेर होना चाहिए । (उपचार करने के विशेष स्थान न हों, तो सूत्र ‘३ ई २ अ’ आकृति में दर्शाए अनुसार ‘बक्सा १’, ‘बक्सा २’, ‘बक्सा ३’ एवं ‘बक्सा ४’ इन बक्सों के स्थानों के अनुसार बक्से रखें ।)
२ अ ४. दो आैर बक्से लेकर उनमें से एक का खुला भाग ऊर्ध्व दिशा में (ऊपर की आेर) तथा दूसरे बक्से का खुला भाग अधर दिशा में (नीचे की आेर) कर उन्हें सूत्र ‘३ ई २ अ’ आकृति में दर्शाए अनुसार व्यक्ति के चारों आेर रखें । अन्य बक्सों के घेरे में कहीं भी रख दें । (इस आकृति में सुविधा की दृष्टि से ये २ बक्से व्यक्ति के पैरों के बाईं आैर दाईं आेर रखे हैं ।) व्यक्ति जिस पलंग पर सोता है, उसके नीचे एक बक्सा इस प्रकार रखें कि उसका खुला भाग अधर (नीचे की) दिशा में हो आैर दूसरे बक्से को अन्य बक्सों के मंडल में कहीं भी (परंतु पलंग के नीचे नहीं) इस प्रकार रखें कि उसका खुला भाग ऊर्ध्व दिशा में रहे ।
(पास-पास सोनेवाले दो व्यक्तियों में से एक (उदा. पति-पत्नी में से एक) विकारग्रस्त हो, तब बक्सा कैसे रखें ?, विकारग्रस्त माता आैर उसका निरोगी शिशु एकत्रित सोते हों, तो बक्से कैसे रखें ? आदि के विषय में विवेचन ग्रंथ में किया है ।)
३. एक या अधिक निरोगी व्यक्ति एक साथ सोते हों, तो अनिष्ट शक्तियों से रक्षा हेतु बक्सों से उपचार करना
इस उपचार-पद्धति में बक्सों के मुख व्यक्ति के शरीर के विरुद्ध दिशा में रखे जाते हैं । बक्सों के मुख शरीर की विरुद्ध दिशा में करने से बाहर से आनेवाली अनिष्ट शक्तियों की आक्रमणकारी शक्ति बक्से के रिक्त स्थान में खींच ली जाती है । इससे व्यक्ति की रक्षा होती है ।
३ अ. एक व्यक्ति सोनेवाला हो, तब बक्से कैसे रखें ?
३ अ १. व्यक्ति के बिछौने के चारों आेर निम्नांकित प्रकार से ४ बक्से इस प्रकार रखें कि बक्सों के मुख व्यक्ति के शरीर की विपरीत दिशा में हों ।
- व्यक्ति के सिर के ऊपर सीधी रेखा में एक बक्सा रखें ।
- दूसरा बक्सा पैर के पंजों के नीचे सीधी रेखा में रखें ।
- तीसरा आैर चौथा बक्सा व्यक्ति के बाएं आैर दाएं भाग पर लगभग मध्य स्थान पर रखें ।
३ अ २. सूत्र ‘२ अ ४’ देखें । (समीप की आकृति देखें ।)