बोईसर में ३७वें वार्षिक अय्यप्पा
स्वामी पूजन समारोहं भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !
बोईसर (पालघर, मुंबई), २६ नवंबर (संवाददाता) : केरल की सरकार शबरीमला मंदिर की परंपरा के विपरीत महिलाआें को मंदिर में प्रवेश दिलाने का प्रयास कर रही है । प्राचीन काल से जो परंपरा जली आ रही है, उसके अनुसार ऐसा करना अयोग्य है । इसके विरुद्ध सरकार से शत्रुता लेकर शबरीमला के महिलाआें ने जो संघर्ष आरंभ किया है, वह वास्तव में प्रशंसनीय है । शबरीमला मंदिर का विषय केवल केरल के लोगों का ही प्रश्न नहीं, अपितु यह संपूर्ण हिन्दू समाज की अस्मिता का प्रश्न है । उसके लिए हम सभी हिन्दुआें को एकत्रित संघर्ष कर इस निर्णय को रद्द करने के लिए बाध्य बनाकर अपनी संस्कृति को टिकाए रखना चाहिए । सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने ऐसा प्रतिपादित किया । यहां प्रतिवर्ष के अनुसार बोईसर अय्यप्पा पूजन मंडल की ओर से इस वर्ष भी श्री अय्यप्पा स्वामी पूजन का आयोजन किया गया था । उसमें श्री. वर्तक ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया । इस पूजन समारोह का लाभ उठाने हेतु विविध स्थानों से आए हुए भक्त उपस्थित थे ।
श्री. अभय वर्तक ने आगे कहा कि …
१. आज काल के अनुसार धर्म की रक्षा करना ही आज का ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ है । भगवद्गीता में जो बताया गया है, उसके अनुसार आचरण करने की आवश्यकता है । सरकार हिन्दुआें के मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर श्रद्धालुआें की धर्मभावनाआें के साथ खिलवाड कर रही है और उनके द्वारा भक्तिभाव से समर्पित धन का दुरूपयोग कर रही है । जो सरकार एक राशन की दुकान ठीक से चला नहीं सकती, वह मंदिर का व्यवस्थापन कैसे करेगी ?
२. मंदिर चलाना सरकार का काम नहीं है । वास्तव में सरकार को ही मंदिरों को कुछ देना चाहिए; परंतु ऐसा न कर सरकार मंदिरों का ही धन लूट रही है । इसका विरोध नहीं किया गया तो हमारे ऊर्जास्रोत अर्थात हमारी हिन्दू संस्कृति ही नष्ट होगी । हम जो शबरीमला का संघर्ष कर रहे हैं, वह वास्तव में भक्ति ही है । हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए सभी धर्मद्रोही एकत्रित होकर संघर्ष कर रहे हैं । तो हम हिन्दुआें का इसका विरोध करने के लिए क्यों नहीं एकत्रित होना चाहिए ?
इस अवसरपर न्यास के सदस्य श्री. प्रसाद नायर के हस्तों श्री. अभय वर्तक को, तो न्यास के अन्य एक सदस्य श्री. मनु मोहन के हस्तों श्री. पी.पी.एम्. नायर को शॉल तथा श्रीफल समर्पित कर स्वागत किया गया । व्यासपीठपर बोईसर के गणेश मंदिर अय्यप्पा पूजा मंडल के उपाध्यक्ष श्री. एस्.के. नायर, न्यास के सदस्य श्री. गोपीनाथन्, सचिव श्री. विनोद इत्यादि मान्यवर उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन समिति के सदस्य श्री. गोपीनाथन् ने, तो सचिव श्री. विनोद ने आभार व्यक्त किया। १०० श्रद्धालुआें ने इस समारोह का लाभ उठाया ।
हिन्दू संस्कृति को यदि टिकाए रखना हो,
तो युवा पीढी को अच्छे संस्कार देना समय की मांग !
– पी.पी.एम्. नायर, संयोजक, श्री रामदास आश्रम, बदलापुर
आज शबरीमला मंदिर में जो संघर्ष चल रहा है तथा उसके लिए जो महिलाएं संघर्ष कर रही हैं, तो हिन्दुआें को उनसे साथ खडे रहना चाहिए । युवा पीढी को संस्कारित करने का प्रारंभ स्वयं से करना होगा । शबरीमला मंदिर प्रकरण को देखते हुए युवा पीढी को संस्कारित करना समय की मांग क्यों है ?, यह ध्यान में आता है । वयस्क नागरिकोंपर इसका बहुत बडा दायित्व है । आज कोई भी उठकर हिन्दू संस्कृति और सनातन धर्म की आलोचना करना है; परंतु हम कुछ नहीं कर सकते । इसका कारण भी हम ही हैं; क्योंकि हमने हमारे बच्चों को धर्म की शिक्षा ही नहीं दी । तिलक क्यों लगाया जाता है ?, मंदिर में क्यों जाते हैं, ऐसी चली आ रही परंपराआें का महत्त्व हमने उन्हें कभी नहीं बताया और इसके कारण ही आज सनातन हिन्दू संस्कृति संकट में हैं । सनातन धर्म हमें हमारे अंतरात्मा से परिचय करवाता है और जीवन कैसे व्यतीत किया जाता है, इसकी शिक्षा देता है । यदि किसी ने हमारी परंपरा के विषय में प्रश्न उपस्थित किया, तो हमें शास्त्रीय परिभाषा में उसका दृढता के साथ उत्तर देना संभव होना चाहिए । इससे हमारी संस्कृति की रक्षा होगी और सामने का व्यक्ति पुनः कभी प्रश्न नहीं पूछ पाएगा ।