सनातन के दो साधक संतपद पर हुए विराजमान !

रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन आश्रम की
अन्नपूर्णाकक्ष (रसोईघर) का दायित्व सहजता से
संभालनेवाली कु. रेखा काणकोणकर संतपद पर हुई विराजमान !

पू. (कु.) रेखा दीदी बनीं सनातन की ६० वीं संत

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पू. (कु.) रेखा काणकोणकर

रामनाथी (गोवा) – पू. (कु.) रेखा दीदी की प्रगति के लिए कारणभूत उनके निरपेक्ष प्रेम और गुरु का आज्ञापालन करने की लगन आदि गुणों के दर्शन श्रीरामनवमी के दिन उपस्थित जनसमुदाय को हुए ।       

पू. (कु.) रेखा काणकोणकर का मनोगत

मुझे कुछ नहीं आता । मैं सब कुछ पूछ-पूछकर ही करती गई । साधना करते समय कोई तनाव नहीं लेना चाहिए । इसलिए कि सबकुछ भगवान ही हमसे करवा लेंगे ।               

प.पू. डॉक्टरजी का निरंतर स्मरण और
सभी से निरपेक्ष प्रेम कर ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर
प्राप्त करनेवाली स्वर्गीय देवकी वासू परबजी संतपद पर आरूढ !

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स्व. पू. देवकी वासू परबजी

पू. देवकी परबजी के विषय में प.पू. डॉक्टरजी के गौरवोद्गार कर्करोग जैसे असाध्य और वेदनादायी रोग में भी व्यष्टि साधना कर पू. परबजी ने संतपद प्राप्त किया । मैं रोग के कारण साधना नहीं कर सकता, ऐसा कहनेवालों के समक्ष पू. परबजी ने एक आदर्श रखा है । – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

पेडणे (गोवा) – यहां की स्वर्गीय देवकी वासू परबजी (८५ वर्षीय) का २२.३.२०१६ को दोपहर ३ बजे निधन हो गया । फरवरी २०१५ में परात्पर गुरु प.पू. डॉ. आठवलेजी ने उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रार्थना करने के लिए कहा था, तब से वे दिन-रात बेसुध अवस्था में भी प्रार्थना करने का प्रयत्न करती थीं ।

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