मनुष्य को २३ पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन का पुण्य प्रदान करनेवाली अमरनाथ यात्रा !

धार्मिक मान्यता के अनुसार अमरनाथ गुफा के बर्फ से बने शिवलिंग का दर्शन करनेपर काशी के दर्शन की अपेक्षा १० गुना, प्रयाग के दर्शन की अपेक्षा १०० गुना और नैमिषारण्य के दर्शन की अपेक्षा १ सहस्र गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है । इसीलिए आज भी करोडों हिन्दू श्रद्धालु बडे भक्तिभाव के साथ अमरनाथ यात्रा करते हैं । अमरनाथ गुफा में स्थित बर्फ के शिवलिंग की, साथ ही यहां के पार्वती पीठ की विशेषताएं विशद करनेवाला यह लेख !

 

१. पहले का अमरेश्‍वर अर्थात आज का तीर्थस्थान श्री अमरनाथ !

श्री अमरनाथ हिन्दुआें का मुख्य तीर्थक्षेत्र है । प्राचीन काल में उसे अमरेश्‍वर के नाम से जाना जाता था । श्रीनगर से लगभग १४५ कि.मी. दूरी पर हिमालय की श्रृंखलाआें में स्थित यह गुफा १६० फीट लंबी तथा १०० फीट चौडी है । इस गुफा की ऊंचाई भी अधिक है । अमरनाथ गुफा में स्थित बर्फ के शिवलिंग के दर्शन करने से मनुष्य को २३ पवित्र तीर्थस्थानों के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है ।

 

२. अमरनाथ गुफा में बर्फ के शिवलिंग
के रूप में साक्षात् भगवान शिवजी का वास !

अमरनाथा की गुफा में बर्फ का शिवलिंग बनता है । भगवान शिवजी ने इसी गुफा में देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र दिया था, जो इस गुफा का महत्त्व है । श्रद्धालुआें की यह मान्यता है कि इस गुफा में साक्षात् भगवान शिवजी का अस्तित्व है । पार्वती देवी को अमरकथा विशद करने के लिए ले जाते समय भगवान शिवजी ने मार्ग में पहले स्वयं के वाहन नंदी को त्याग दिया । उसके पश्‍चात उन्होंने चंदनबाडी में स्वयं की जटा से चंद्रमा को मुक्त किया । शेषनाग के सरोवर पहुंचनेपर उन्होंने गले से सांपों को हटा दिया । उन्होंने अपने प्रिय पुत्र गणेशजी को महागुणस पर्वतपर छोड दिया और तत्पश्‍चात पंचतरणी जाकर उन्होंने पांचों तत्त्वों को त्याग दिया । एक मान्यता के अनुसार राखीपूर्णिमा के दिन अमरनाथ गुफा में साक्षात भगवान शिवजी का आगमन होता है ।

 

३. ५१ शक्तिपीठों में से एक
पीठ अमरनाथ गुफा में विद्यमान पार्वती पीठ !

अमरनाथ गुफा में बननेवाला शिवलिंग संपूर्णरूप से बर्फ का बनता है; परंतु गुफा के बाहर बहुत दूरीपर सामान्य बर्फ है । ऐसा बताया जाता है कि इस गुफा के उपर रामकुण्ड है । अमरनाथ गुफा में पार्वती पीठ होते हुए भी आज भी अनेक श्रद्धालु उससे अनभिज्ञ हैं । यह पीठ ५१ शक्तिपीठों में से एक है । यहां देवी सती के कंठ का भाग गिरा था, ऐसा माना जाता है । शास्त्र में विदित जानकारी के अनुसार भगवान शिवजी ने पार्वती माता को अमरत्व का रहस्य विशद किया था । उस समय माता पार्वतीसहित एक तोता और २ कबुतरों ने भी उसे सुना । यही तोता आगे जाकर शुकदेव नामक ऋषि हुए, जिन्होंने अमरत्व प्राप्त किया । इसके साथ ही वह कबूतरों की जोडी भी अमर हो गई । आज भी कुछ श्रद्धालुआें को उस गुफा में अमर हो चुके उन कबूतरों की जोडी दिखाई देती है ।

– संदर्भ : समाचारवाहिनी आजतक

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