सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम में १.११.२०१६ को दीपावली के उपलक्ष्य में सर्वत्र दीपों की सजावट की गई थी । यहां हम ध्यानमंदिर में की गई सजावट के विशेषतापूर्ण छायाचित्र प्रकाशित कर रहे हैं । संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वरजी के कथनानुसार दीप चाहे जितना भी छोटा हो; परंतु उसमें संपूर्ण कक्ष को प्रकाशमान करने का सामर्थ्य होता है । इसके अनुसार आज की इस अंधकारमय स्थिति में ये हिन्दू राष्ट्ररूपी दीप मानो विश्वरूपी कक्ष को प्रकाशमान करने की प्रचीति दे रहे हैं !
आश्रम में विद्यमान चैतन्य के कारण तथा संतों के अस्तित्व के कारण आश्रम में शक्ति, भाव, चैतन्य, आनंद तथा शांति अथवा विशिष्ट देवताओं की तरंगें आकर्षित होकर कार्यरत हो जाती हैं । ये तरंगें किसप्रकार से आकर्षित होकर कार्यरत होती हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि दीपावली की कालावधि में सनातन के रामनाथी आश्रम में प्रज्वलित दीपों से प्रक्षेपित होनेवाला प्रकाश !
१. वर्ष २०१६ की दीपावली में आश्रम में प्रज्वलित दीपों के छायाचित्रों में इन दीपों की ज्योति लाल रंग की दिखाई दे रही थीं । उसके कारण आश्रम की दीवारें भी लाल रंग की दिखाई दे रही थीं ।
२. वर्ष २०१७ की दीपावली पर आश्रम में प्रज्वलित दीपों के छायाचित्रों में दीपों की ज्योति से वातावरण में गुलाबी तथा नीले रंगों की वृत्ताकार प्रकाशवलयों का प्रक्षेपण होता दिखाई देता है ।
दीपों के प्रकाश में विशिष्ट रंग तथा विशिष्ट सूक्ष्म तरंगों के संयुक्तरूप से कार्यरत होने के कारण अथवा उस वस्तु से वातावरण में उसकी तरंगों के अनुसार उससे संबंधित रंगों के प्रकाश का प्रक्षेपण होता है । काल के अनुसार आश्रम में विद्यमान प्रकाशतरंगों में आनंद एवं भक्ति के तरंग प्रबल होने के कारण उससे संबंधित तरंगों के अनुसार क्रमशः गुलाबी अथवा नीले रंगों के प्रकाश का प्रक्षेपण हो रहा था ।
इसप्रकार भक्तिदायक एवं आनंदस्वरूप वातावरण की इस सजावट को देखने का आनंद लिया !
– कु. प्रियांका लोटलीकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा (३१.१०.२०१८)
रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में प्रज्वलित
दीपों की ज्योतियों का पीले और लाल रंग का दिखाई देना !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के
उपलक्ष्य में प्रज्वलित ज्योतियों का पीले और लाल रंग का दिखाई देना !
‘दीपज्योतिःपरब्रह्म दीपज्योतिजनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥’
अर्थ : दीप का प्रकाश ब्रह्मस्वरूप है । दीपज्योति विश्व का दुख करनेवाले परमेश्वर हैं । दीपक मेरा पाप दूर करें । हे दीपज्योति, आपको मेरा प्रणाम !
इस दुखहारी दीपज्योति के संदर्भ में रामनाथी आश्रम के साधकों को एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई । ११.५.२०१९ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का ७७वां जन्मोत्सव मनाया गया । इस उपलक्ष्य में आश्रम में सर्वत्र ज्योतियां प्रज्वलित कर दीपोत्सव मनाया गया । इन दीपों की विशेषता यह थी कि आश्रम के स्वागतकक्ष के पास प्रज्वलित दीपों की ज्योतियां पीले रंग की, तो कलामंदिर के पास प्रज्वलित दीपों की ज्योतियां लाल रंग की दिखाई दे रही थीं ।
– कु. प्रियांका लोटलीकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा
दीपों की ज्योतियों की पीले और लाल रंग का दिखाई देने का कारण
१. ज्ञानकण प्रक्षेपित करनवाले तारक स्वरूपवाली पीली ज्योतियां !
१ अ. अग्निनारायण के २ रूप हैं । पीले रंग में दिखाई देनेवाला रूप तारक होता है, तो लाल रंग में दिखाई देनेवाला रूप मारक होता है ।
१ आ. पीली ज्योति के कारण वातावरण की शुद्धि होती है और उससे सर्वत्र ज्ञानकण फैलते हैं तथा उसमें विद्यमान सत्त्वगुण की वृद्धि होती है ।
२. धर्मसंघर्ष का साथ देनेवाली लाल रंग की ज्योतियां !
२ अ. लाल ज्योति के माध्यम से वातावरण की अशुद्धता नष्ट होती है अर्थात वातावरण में व्याप्त रज-तम नष्ट होने में सहायता मिलती है । इस कार्य हेतु दीप से लाल रंग की ज्योति का प्रकटीकरण हुआ ।
२ आ. दीप की ज्योति का लाल रंग का दिखना धर्मसंघर्ष के लिए अग्नितत्त्व का दृर्शक है । कालांतर से धर्म-अधर्म के संघर्ष में पंचतत्त्वों के सहभाग की मात्रा बढकर अंत में उसका रूपांतरण हिन्दू राष्ट्र स्थापना में होगा ।’
– श्री. राम होनप, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात