आरोपपत्र प्रत्यक्ष मिलने पर ही भूमिका स्पष्ट करेंगे !
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के प्रकरण में कुछ समय पूर्व ही पुलिस ने पूरक आरोपपत्र प्रस्तुत किया है और कुछ माध्यमों ने चर्चा प्रारंभ कर दी है कि इसमें सनातन संस्था का नाम है । हमें आरोपपत्र की प्रति अभी उपलब्ध नहीं हुई है । इसलिए उसे बिना पढे बोलना अयोग्य होगा । गौरी लंकेश प्रकरण में बंदी बनाए गए लोगों में कोई भी सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के वैधानिक पदाधिकारी नहीं है, तब भी बिनाकारण संस्था को इस प्रकरण में फंसाने का षडयंत्र रचा जा रहा है । इस प्रकार से सनातन संस्था का नाम बदनाम करने का प्रयत्न इससे पूर्व भी अनेक बार हुआ है तथा सदैव सनातन संस्था का निर्दोषत्व सिद्ध हुआ है । अतः राजकीय आरोपपत्र में सनातन संस्था को पहले से ही दोषी कहना योग्य नहीं होगा, ऐसा मत सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने व्यक्त किया है ।
कथित विचारकों की हत्या के प्रकरण में हमने आजतक सभी अन्वेषण दलों को सहयोग किया है । आज तक सनातन संस्था के सहभाग का एक भी प्रमाण नहीं मिला है । तब भी कुछ आधुनिकतावादी सनातन संस्था ने हत्या की है, यह कहकर संस्था को बदनाम करने का प्रयत्न कर रहे हैं । गौरी लंकेश प्रकरण में बंदी बनाया गया व्यक्ति 10 वर्ष पूर्व ही हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य छोड चुका है; परंतु वह समिति का सक्रिय कार्यकर्ता है, यह भ्रम उत्पन्न कर हिन्दू जनजागृति समिति को दोषी माना जा रहा है, क्या यह षडयंत्र नहीं है? अन्वेषण दलों ने आरोपपत्र में नाम लिया है, इससे यह सिद्ध नहीं होता कि समिति दोषी है । आरोपपत्र मिलने पर ही इस संबंध में विस्तृत भूमिका प्रस्तुत करेंगे , यह भी श्री. राजहंस इस समय बोले ।
– श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था.