१. तिथि
गणगौर व्रत चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा से चैत्र शुक्ल द्वितीया तक रखा जाता है ।
२. समानार्थी शब्द
‘गण’ अर्थात भगवान शिव तथा ‘गौर’ अथवा ‘गौरी’ अर्थात पार्वती देवी ।
३. व्रत रखने की पद्धति
इसके लिए होली के भस्म और काली मिट्टी के मिश्रण से गौरी की मूर्ति बनाई जाती है । प्रतिदिन प्रातःकाल के समय फल, पुष्प, दुर्वा और जलपूर्ण कलश लेकर उसे गीतमंत्रों से पूजते हैं । दिन में जुलूस निकालकर अपने सिर पर ‘गण’ और ‘गौरी’ की प्रतिमाएं रखकर महिलाएं उन्हें निकट के जलाशय तक ले जाती हैं । अंतिम दिन सर्व प्रतिमाओं को जल में प्रवाहित किया जाता है । इसे विवाहिता एवं कुमारी, दोनों स्त्रियां करती हैं ।