रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में पंचमुखी हनुमानकवच यज्ञ संपन्न !

परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी को दीर्घायु प्राप्त हो, हिन्दू राष्ट्र स्थापना के व्यापक कार्य में उत्पन्न बाधाएं दूर हों तथा आध्यात्मिक कष्टों से साधकों की रक्षा हो; इसके लिए यज्ञ के समय आवाहन !

रामनाथी (गोवा) : परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी को दीर्घायु प्राप्त हो, हिन्दू राष्ट्र स्थापना के व्यापक कार्य में अनिष्ट शक्तियों द्वारा उत्पन्न बाधाएं दूर हों तथा आध्यात्मिक कष्टों से साधकों की रक्षा हो; इसके लिए रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में १४ अक्टूबर को तीसरा पंचमुखी हनुमानकवच यज्ञ संपन्न हुआ । पानवळ, बांदा (जिला सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) के महान संत प.पू. दास महाराजजी के मार्गदर्शन में यह ४९वां यज्ञ अत्यंत चैतन्यमय वातावरण में संपन्न हुआ । इस अवसरपर प.पू. दास महाराजजी ने क्षात्रवृत्ति से मंत्रपठन किया । यज्ञस्थलपर सनातन की सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की वंदनीय उपस्थिति थी । सनातन के संतों की वंदनीय उपस्थिति में संपन्न इस लाभ का आश्रम के साधकों ने भी लाभ उठाया ।

प्राचीन काल में जब ऋषिमुनी यज्ञ करते थे, तब असुर उन यज्ञों में बाधाएं उत्पन्न करते थे और तब विविध देवताएं उन बाधाआें को दूर कर देते थे । आज के इस कलियुग में भी एक ओर अनिष्ट शक्तियां यज्ञविधियों में बाधा डालने का प्रयास कर रही हैं, तो दूसरी ओर अच्छी शक्तियां अर्थात देवताएं इन बाधाआें को दूर कर रहे हैं । हनुमानकवच यज्ञ के समय इसकी कदम-कदम पर इसकी प्रचीती हो रही है ।

 

हनुमानकवच यज्ञ के समय प्राप्त देवताआें के अस्तित्व के संकेत !

हनुमानजी के ५ मुखों में से हयग्रीव १ मुख है । ‘हयग्रीव’ का अर्थ घोडा होता है । पंचमुखी हनुमानकवच यज्ञ में निकले धुएं में हयग्रीव की भांति (घोडे की भांति) आकार दिखाई दे रहा था ।
हनुमानजी तो साक्षात शिवजी के ही अवतार ! यज्ञ की ज्वालाआें में ॐ की आकृति अंकित होना, एक शुभसंकेत है; क्योंकि इस यज्ञ को भगवान शिवजी के आशीर्वाद प्राप्त होने का वह दर्शक है ।

यज्ञविधियों में बाधा उत्पन्न करने के लिए प्रयासरत असुरी शक्तियां !

यज्ञविधियों का पौराहित्य करनेवाले पुरोहित श्री. सिद्धेश करंदीकरपर आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति का मुख (उसके आकार को गोल में दिखाया गया है ।)
पूर्णाहुति के समय यज्ञकुंड में उठनेवाली अग्नि की ज्वालाआें में दिखाई दे रहा अनिष्ट शक्ति का मुख

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