समाज में विद्यमान दुष्प्रवृत्तियों का वैधानिक पद्धति से निर्दालन करें ! – श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे, सनातन संस्था

डोंबिवली में दैनिक सनातन प्रभात के पाठकों के लिए साधना शिविर संपन्न !

डोंबिवली : समाज में विद्यमान दुष्प्रवृत्तियों का वैधानिक पद्धति से निर्दालन करना ही क्षात्रधर्म साधना है । क्षात्रधर्म साधना काल के अनुसार आवश्यक साधना है तथा समष्टि साधना से जोडकर स्वयं में विद्यमान स्वभावदोष तथा अहं से संघर्ष कर उन्हें दूर करना व्यष्टि स्तर की क्षात्रधर्म साधना है । अध्यात्म कृति का शास्त्र है । आध्यात्मिक ज्ञान का क्रियान्वयन नहीं गया, तो सब व्यर्थ है । सनातन संस्था की श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे ने उर्सेकरबाडी परिसर के भाजपा कार्यालय में संपन्न साधना शिविर में बोलते हुए ऐसा प्रतिपादित किया ।

दैनिक सनातन प्रभात के पाठकों के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया था । इस शिविर में ३० से भी अधिक पाठकों की उपस्थिति थी । श्री. महेश मुळीक ने इस शिविर का सूत्रसंचालन किया । इस अवसरपर एस्.एस्.आर्.एफ्. द्वारा निर्मित नमक के पानी के आध्यात्मिक उपाय की ध्वनिचित्रचक्रिका दिखाई गई ।

श्रीमती सविता लेले ने आनंदी जीवन के लिए साधना की प्रमुख नींव स्वभावदोष तथा अहंनिर्मूलन प्रक्रिया कैसे और क्यों अपनानी चाहिए ?, इस विषय में मार्गदर्शन किया । पाठकों द्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रियाआें से इस मार्गदर्शन के कारण कई पाठकों को व्यक्तिगत स्तरपर लाभ होने की बात ध्यान में आई ।

क्षणिकाएं

१. शिविर के लिए एक दादी अपने २ लडकियों को साथ लेकर बहुत दूर से आई थीं ।

२. स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन प्रकिया को समझ लेने के पश्‍चात उसके अनुसार कृती करने के संदर्भ में पाठकों में बहुत उत्साह प्रतीत हो रहा था ।

३. सभी पाठक नमक के पानी के उपाय की ध्वनिचित्रचक्रिका बहुत एकाग्रता के साथ देख रहे थे ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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