श्री काळभैरव दंड पूजन तथा स्थापना विधि भी संपन्न !
रामनाथी (गोवा) : परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी को स्वास्थ्यमय दीर्घायु प्राप्त हो, हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य के लिए सभी देवताआें के आशीर्वाद प्राप्त हों, इस कार्य में उत्पन्न सभी बाधाएं दूर हों, हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए कार्य करनेवाले साधकोंसहित समस्त हिन्दुत्वनिष्ठों के शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कष्ट दूर हों और उनमें शौर्य एवं धैर्य उत्पन्न हो; इस संकल्प को लेकर महर्षिजी ने पू. डॉ. उलगनाथन्जी के माध्यम से बताने के अनुसार विजयादशमी के शुभमुहूरतपर यहां के सनातन आश्रम में १८ अक्टूबर को भगवान जगन्नाथजी की काष्ठ की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का समारोहन अत्यंत आनंदमय तथा भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ । सनातन के संत पू. (डॉ.) मुकुल गाडगीळजी तथा उनकी धर्मपत्नी सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने यज्ञ के यजमानपद का निर्वहन किया । इस अवसरपर सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की वंदनीय उपस्थिति थी । सनातन की सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तथा सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने १७ अक्टूबर की रात में श्रीयंत्र का पूजन किया । १८ अक्टूबर की सुबह इन सद्गुुरुद्वयी ने आश्रम के ध्यानमंदिर में दीपस्वरूपी ऋषी विश्वामित्रजी तथा ऋषी वशिष्ठजी की स्थापना की ।
श्री काळभैरव दंड पूजन तथा स्थापना विधि संपन्न !
उससे पहलहे १७ अक्टूबर को हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु कार्य करनेवाले साधकों की, साथ ही आश्रमों की रक्षा हो; इस उद्देश्य से आश्रम में एक संतजी द्वारा प्रदान किए गए श्री काळभैरव दंड का पूजन किया गया । सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तथा सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के शुभहस्तों श्री काळभैरव दंड का पूजन तथा स्थापना की गई । इस पूजन का दिन था नवरात्री की अष्टमी अर्थात दुर्गाष्टमी का ! इस दिन उत्तराषाढा नक्षत्र था । उत्तराषाढा परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का जन्मनक्षत्र है । श्री काळभैरवजी, तो भगवान शिवजी का ही रूप हैं । आश्रम परिसर के श्री हनुमानजी के मंदिर की बाजू के मंदिर में श्री काळभैरव दंड की स्थापना की गई । शिवजी दक्षिण दिशा से आनेवाले यमतरंगों के विरुद्ध लडनेवाले देवता होने से श्री काळभैरव दंड की दक्षिणाभिमुख स्थापना की गई । इस अवसरपर सनातन के संत तथा साधक उपस्थित थे ।