‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ ने किया ‘यूटीएस
(यूनिवर्सल थर्मो स्कैनर)’ उपकरण द्वारा वैज्ञानिक परीक्षण
‘अंधःकार को दूर कर तेज का वर्षाव करनेवाला त्यौहार है ‘दीपावली’ ! दीपावली में घर-घर दीये जलाने की परंपरा प्राचीन काल से, अर्थात त्रेतायुग में आरंभ हुई । लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर, प्रभु श्रीराम जब अयोध्या लौटे, तब प्रजा ने उनका स्वागत दीपोत्सव से किया । आज के रज-तमप्रधान काल में विद्युत दीप युक्त प्लास्टिक के ‘चीनी’ दीये बाजार में दिखाई देते हैं । साथ ही मोम के दीये जलाने की ओर भी झुकाव रहता है; तथापि बडे-बूढे तिल का तेल और कपास की बाती लगाकर मिट्टी के पारंपरिक दीये जलाते हैं । तिल का तेल और कपास की बाती से युक्त मिट्टी के दीये, सात्त्विकता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । यह महत्त्व समाज को ज्ञात हो, इसके लिए ‘विद्युत दीप युक्त प्लास्टिक का ‘चीनी’ दीया, मोम का दीया तथा तिल का तेल और कपास की बाती से युक्त पारंपरिक मिट्टी का दीया जलाने पर, उनसे प्रक्षेपित स्पंदनों का वातावरण पर होनेवाले परिणाम का वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन करना’, इस परीक्षण का उद्देश्य था । इस परीक्षण के लिए ‘यूटीएस (यूनिवर्सल थर्मो स्कैनर)’ उपकरण का उपयोग किया गया ।
१. परीक्षण का स्वरूप
इस परीक्षण में विद्युत दीप युक्त प्लास्टिक का ‘चीनी’ दीया, मोम का दीया तथा तिल का तेल एवं कपास की बाती डालकर लगाया पारंपरिक मिट्टी का दीया, इन्हें प्रज्वलित कर, प्रत्येक का ‘यूटीएस’ उपकरण द्वारा निरीक्षण कर पाठ्यांक लिया गया । इन सभी निरीक्षणों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया ।
२. वैज्ञानिक परीक्षण के घटकों के विषय में जानकारी
२ अ. विद्युत दीप युक्त प्लास्टिक का ‘चीनी’ दीया
यह प्लास्टिक का दीया है, इसमें विद्युत ऊर्जा पर चलनेवाला विद्युत दीप लगा है । ये दीये बडे आकर्षक दिखाई देते हैं । इनकी निर्मिति मुख्यतः से चीन में की जाती है ।
२ आ. मोम का दीया
यह दीये के आकार में मोम से बनी मोमबत्ती है ।
२ इ. पारंपरिक मिट्टी का दीया
यह बाजार में मिलनेवाला मिट्टी का सामान्य दीया है । इसमें तिल का तेल तथा कपास की बाती डालकर जलाते हैं ।
पाठकों के लिए सूचना
स्थान के अभाववश इस लेख में ‘यूटीएस’ उपकरण का परिचय’ ‘उपकरण द्वारा किए गए परीक्षण के घटक और उनका विवरण’, ‘घटक का प्रभामंडल मापना’, ‘परीक्षण की पद्धति’ और ‘परीक्षण में समानता लाने के लिए बरती गई सावधानी’ आदि सूत्र सनातन के जालस्थल की लिंक goo.gl/B5g5YK पर दिए हैं । लिंक के कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।
टिप्पणी : जब स्कैनर १८० अंश के कोण में खुलता है, तभी घटक का प्रभामंडल मापा जा सकता है । उससे अल्प अंश के कोण में स्कैनर खुले, तो इसका अर्थ है ‘उस घटक के आसपास प्रभामंडल नहीं है ।’
३. निरीक्षणों का विवेचन
३ अ. विद्युत दीये और मोम के दीये इनमें नकारात्मक ऊर्जा पाई जाना
विद्युत दीया और मोम का दीया, इनकी ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा मापते समय स्कैनर की भुजा १२० अंश के कोण में खुलीं । इसका अर्थ है कि इन दोनों दीयों में नकारात्मक ऊर्जा अल्प मात्रा में थी; परंतु मिट्टी के दीये में तो नकारात्मक ऊर्जा बिलकुल भी नहीं पाई गई । परीक्षण में इन तीनों दीयों में ‘अल्ट्रावॉयलेट’ नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई ।
३ आ. तिल का तेल और कपास की बाती डालकर लगाए मिट्टी के दीये में अल्प मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा पाई जाना; परंतु अन्य दो दीयों में न पाई जाना
सभी व्यक्ति, वास्तु अथवा वस्तु में सकारात्मक ऊर्जा नहीं होती । मिट्टी के दीये के निरीक्षण में स्कैनर की भुजा ९० अंश के कोण में खुलीं, अर्थात इस दीये में अल्प मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा थी । विद्युत दीया और मोम का दीया, इनमें वह बिलकुल ही नहीं पाई गई ।
३ इ. विद्युत दीये और मोम के दीये के प्रभामंडल की तुलना में मिट्टी के दीये का प्रभामंडल अधिक होना
सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु का प्रभामंडल लगभग १ मीटर होता है । विद्युत दीया, मोम का दीया और मिट्टी का दीया, इनका प्रभामंडल क्रमशः १.०६ मीटर, १.२९ मीटर तथा २.१७ मीटर थी । इससे यह ध्यान में आता है कि अन्य दोनों दीयों की तुलना में मिट्टी के दीये का प्रभामंडल अधिक था ।
इन सभी सूत्रों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण ‘सूत्र ६’ में दिया है ।
४. निष्कर्ष
‘विद्युत दीये और मोम के दीये में नकारात्मक स्पंदन, जबकि तिल का तेल और कपास की बाती डालकर जलाए मिट्टी के दीये में सकारात्मक स्पंदन होते हैं’, यह इस परीक्षण से ध्यान में आता है ।
५. निरीक्षणों का अध्यात्मशास्त्र
विद्युत दीप युक्त प्लास्टिक का दीया और मोम का दीया, इनमें मानवनिर्मित तमोगुणी घटक होने के कारण उनमें से नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होना, जबकि तिल का तेल और कपास की बाती लगे मिट्टी के दीये के प्राकृतिक सत्त्वगुणी घटकों के कारण उससे सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होना
इस परीक्षण में विद्युत ऊर्जा, प्लास्टिक और मोम जैसे घटक मानवनिर्मित हैं; जबकि मिट्टी, तिल का तेल और कपास जैसे घटक प्राकृतिक हैं । सामान्यतः प्राकृतिक घटकों में सत्त्वगुण प्रधान होता है, जबकि अप्राकृतिक (कृत्रिम) घटकों में तमोगुण प्रधान होता है । जिस घटक में जो गुण प्रधान होता है, वैसे स्पंदन उस घटक से वातावरण में प्रक्षेपित होते हैं । सात्त्विक घटकों के कारण मिट्टी के दीये में सात्त्विक (सकारात्मक) स्पंदन पाए गए । इसके विपरीत मानवनिर्मित तमोगुणी घटकों के कारण विद्युत दीये और मोम के दीये में असात्त्विक (नकारात्मक) स्पंदन पाए गए । इन तमोगुणी घटकों के कारण वातावरण में कष्टदायक स्पंदन फैलते हैं । इससे यह ध्यान में आता है कि तिल का तेल और हाथ से बनाई कपास की बाती डालकर मिट्टी का दीप जलाना, आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायी है ।
६. दीपावली निमित्त भाई-बहनों से आवाहन !
भाईयो और बहनो, दीवाली में विद्युत चीनी दीये और मोम के दीयों को दूर रखें, तिल का तेल और कपास की बाती डालकर मिट्टी के पारंपरिक दीये लगाकर उनका आध्यात्मिक स्तर पर लाभ उठाएं !’