रामनाथी (गोवा) – सनातन संस्था पर आया बंदी का संकट, परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी को तथा साधकों को होनेवाले शारीरिक कष्ट एवं विविध शारीरिक व्याधियांं दूर होने हेतु रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में २० एवं २१ सितंबर को धन्वंतरि याग संपन्न हुआ । इसमें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के साथ संतों की वंदनीय उपस्थिति का लाभ हुआ । यज्ञस्थल पर मन प्रसन्न करनेवाली देवी-देवताओं की पूजा तथा वेदमूर्तियों की ओजस्वी वाणी से होनेवाले मंत्रघोष के कारण वातावरण चैतन्यमय हो गया था । अतः स्वाभाविक ही भावजागृति की अनुभूति लेनेवाले साधकों द्वारा श्रीगुरु के चरणों में आर्तता से ’हमारे सभी कष्ट का निवारण हो तथा ’हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने के लिए हमें सक्षम बनाएं । हमारा उद्धार करें ।’ ऐसी प्रार्थना हो रही थी । इसी समय श्री गुरुमार्इं हमारे लिए कितने परिश्रम कर रही है, इस विचार से साधक श्रीगुरुमाईं के चरणोंं में अनंत कोटि कृतज्ञता व्यक्त कर रहे थे । वेदमूर्ति गुरुमूर्ति शिवाचार्य, उनके पुत्र वेदमूर्ति अरुण गुरुमूर्ति एवं वेदमूर्ति अरुण गुरुमूर्ति के बहनोई वेदमूर्ति राजकुमार द्वारा कहे गए तमिल संतोंं के भजन एवं स्तोत्रों के कारण भी सब का भाव जागृत हो रहा था । यज्ञस्थल पर निर्माण हुए चैतन्यमय एवं भावपूर्ण वातावरण के कारण साधक श्रीगुरुदेव के प्रति शरणागत एवं कृतज्ञताभाव में डूब गए थे । याग की परिसमाप्ति उपरांत उपस्थित सभी को गुरुदेव ने अभिवादन किया । वे यज्ञस्थल से बाहर जाने तक साधकों को हाथ दिखा रहे थे । उनकी इस अहंशून्य एवं साधकों के प्रति प्रीतिस्वरुप कृति से कृतज्ञताभाव जागृत होकर उपस्थित सभी साधकों की आंंखें भावाश्रु से भर आईं थीं ।
२० सितंबर को परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी का जन्मनक्षत्र उत्त्तराषाढा रहतेमें धन्वंतरि याग का आरंभ होकर २१ सितंबर को दोपहर में उसकी परिसमाप्ति हुई । प्रथम दिन सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के शुभहाथों संकल्प होने के पश्चात तमिलनाडू, ईरोड के वेदमूर्ति गुरुमूर्ति शिवाचार्य, उनके पुत्र वेदमूर्ति अरुण गुरुमूर्ति एवं वेदमूर्ति राजकुमार ने आगे का यज्ञकर्म पूरा किया । परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी के दिव्य हाथों से होमकुंड में नारियल अर्पण कर महापूर्णाहूति दी गई ।
याग के समय किए गए विधि
याग के प्रथम दिन श्री विघ्नेश्वर पूजा, महासंकल्प, पुण्याहवाचन, कलश आराधना एवं श्री धन्वंतरि चक्रराज पूजा संपन्न हुई । तत्पश्चात श्री धन्वंतरि मूलमंत्र, मालामंत्र, गायत्रीमंत्र जप एवं होम, धन्वंतरि होम पूर्णाहूति एवं महादीप आराधना की गई । २१ सितंबर को सवेरे श्री महागणपति पूजा, श्री धन्वंतरि मूलमंत्र, मालामंत्र, गायत्रीमंत्र जप एवं हवन तथा श्री पुरुषसुक्त पारायण, द्रव्याहुति, वसोरधार, महापूर्णाहूति, उपचारपूजा, महादीपाराधना एवं प्रसाद विनियोग आदि विधि संपन्न हुए । उसीप्रकार वेदमूर्तियों ने वेदोक्त मंत्रपुष्पांजली, श्रीसुक्त, सुदर्शनस्तोत्र एवं श्रीविष्णुस्तोत्र का पठन किया ।