१. कुछ राजकीय नेता एवं प्रसिद्धिमाध्यमों के प्रतिनिधियों द्वारा ‘सनातन संस्था पर
प्रतिबंध लगाएं’, ऐसी टीका-टिप्पणी होतेे हुए भी संस्था के उपक्रमों को जिज्ञासुओं का मिला उत्स्फूर्त प्रतिसाद ।
गोरक्षक श्री. वैभव राऊत ने कुछ दिनों पूर्व ही ‘आतंकवाद विरोधी पथक’ने (ए.टी.एस. ने) बंदी बनाया । तब कुछ राजकीय नेताओं एवं प्रसिद्धिमाध्यमों के प्रतिनिधियों ने ऐसी टीका-टिप्पणी आरंभ कर दी कि ‘श्री. वैभव राऊत सनातन के साधक हैं । इसलिए सनातन पर प्रतिबंध लगाया जाए ।’ इतना होने पर भी ध्यान में आया कि इस टीका-टिप्पणी का सनातन संस्था के प्रसारकार्य पर कुछ भी परिणाम नहीं हुआ । हमारा प्रसार पहले की ही भांति हो रहा है । १५ अगस्त के निमित्त से सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से अनेक उपक्रम आयोजित किए गए हैं । उन्हें भी समाज के जिज्ञासुओं का उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला ।
२. समाज में प्रसार करते समय सनातन पर सर्वसामान्य
लोगों का समर्थन एवं सनातन पर विश्वास कायम, ऐसा ध्यान में आना
इन दिनों भी हमेशा की भांति साधक सेवा के लिए समाज में जाते थे और कोई तनाव नहीं था । साधकों से इस प्रकरण के विषय में नगण्य लोगों ने पूछताछ की । इससे यह ध्यान में आया कि प्रसिद्धिमाध्यमों ने समाचार, चर्चासत्र आदि द्वारा सनातन की भले ही कितनी भी अपकीर्ति की हो, तब भी सामान्य जनता सनातन का समर्थन करती है और उसे संस्था पर विश्वास भी है ।’
– श्रीमती अर्पिता पाठक, सनातन संकुल, देवद, पनवेल.
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात