टीवी ९ मराठी’ वाहिनी से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को अपकीर्त करने का निंदनीय प्रयत्न !
मुंबई (महाराष्ट्र) – डॉ. दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याआें की घटनाआें में सनातन को ‘लक्ष्य’ बनाकर उसकी अत्यंत हीन स्तर पर अपकीर्ति करने की श्रृंखला ही प्रसारमाध्यमों ने आरंभ की है । एक भी घटना में सनातन के दोषी न होने पर भी ‘टीवी ९ मराठी’ जैसे समाचार-वाहिनियों द्वारा मनगढंत कहानियां रचकर झूठे समाचार ‘स्पेशल रिपोर्ट’ के नाम पर प्रसारित किए जा रहे हैं । उनमें ‘गोवा के सनातन के आश्रम में डॉ. आठवलेजी पर किसी भी क्षण एटीएस (आतंकवाद विरोधी दल) द्वारा कार्यवाही हो सकती है; इसलिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को भाजपा शासित राज्यों में स्थानांतर करने की गतिविधियां चल रही हैं । उनमें मध्यप्रदेश का इंदौर नगर अधिक सुरक्षित होने से शीघ्र ही उन्हें मध्यप्रदेश ले जानेवाले हैं’, ऐसा अत्यंत झूठा समाचार प्रसारित किया है।
जिनकी मानव बनने की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती, वे नाथुराम अथवा डॉ. जयंत आठवलेजी बनकर दंगे करते हैं !
ईश्वरपुर (महाराष्ट्र) – मनुष्य जिस समय मानव के रूप में जन्म लेता है, तब वह मानव नहीं होता । उसमें जानवर का अंश शेष होता है । जीवन में मानव बनने की प्रकिया होती है । जिसकी यह प्रक्रिया पूर्ण होती है, वे डॉ. दाभोलकर बनते हैं । जिनकी प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती, वे या तो नथुराम बनते हैं या डॉ. जयंत आठवले । वे दंगे करते हैं, लोगों के घर जलाने के लिए कहते हैं । ये सब मैं ने १९८४, १९९२, २००२ में देखा है, ऐसे निंदनीय टिप्पणी पत्रकार निखिल वागळे ने की है । वे अंनिस की ओर से २० अगस्त को ‘दाभोलकर-पानसरे एवं अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का प्रश्न’ इस विषय पर लोकनेता राजारामबापू पाटील नाट्यगृह में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे ।
(कहते हैं) ‘डॉ. जयंत आठवलेजी समाज में विष फैला रहे हैं !’
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के प्रमुख एवं विवेकवादियों को गोली मारनेवालों सहित मास्टर माईंड डॉ. जयंत आठवलेजी को भी बंदी बनाया जाए, ऐसी मांग पत्रकार निखिल वागळे ने २३ अगस्त को पत्रकार परिषद में की । उन्होंने ऐसा भी कहा कि डॉ. जयंत आठवलेजी समाज में विष फैला रहे हैं । (२४.८.२०१८)
समाचार-वाहिनियों तथा निखिल वागळे द्वारा किए वक्तव्यों के बारे में सनातन कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श कर रही है और उसके अनुसार अगली कार्यवाही कर रही है ।
(सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का कार्य केवल भारत के लिए नहीं; अपितु जागतिक स्तर पर मार्गदर्शक है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा स्थापित सनातन संस्था और उसके साधक पिछले दो दशक से भी अधिक काल से निःस्पृहपता से हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का प्रचार कर समाज को अध्यात्म, साधना, संस्कृति एवं राष्ट्र के प्रति जागृत कर रहे हैं । अनेक संतों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य का गौरव किया है । इसलिए ऋषितुल्य डॉ. आठवलेजी की तुलना दंगे करनेवालों से से करनवाले वागळे की बुद्धि पर दया आती है ! कुछ वर्षों बाद वागळे कौन थे, यह लोग भूल जाएंगें; मात्र इसके आगे के सहस्रों वर्ष परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का कार्य लोगों के स्मरण में रहेगा ! – संपादक)