सनातन संस्था पर दाभोलकर हत्या प्रकरण में प्रतिबंध लगाने का षड्यंत्र हो रहा है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि सनातन संस्था इसमें दोषी है । विधि (कानून) में एक बात है – presume innocent unless proved guilty – अर्थात जब तक अपराध सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक व्यक्ति को निर्दोष मानना चाहिए । अभी भी इस प्रकरण की जांच चल रही है, ऐसे में सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग करना अयोग्य है । दाभोलकर ने अपने जीवनकाल में जो घोटाले किए हैं, उनकी जांच करना एवं जो लोग सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं, उनकी ही जांच की जाए, तो अधिक योग्य होगा ।