सनातन का आश्रम एवं कार्य
सनातन के विरुद्ध कहीं कोई छोटी-सी बात छपी कि सनातनद्वेष से पगलाए हुए प्रचारमाध्यमों के कुछ प्रतिनिधि पत्रकार चल पडते हैं रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम की ओर । वे अहंकार में चूर होकर पूछते हैं, हमें डॉ. आठवले से मिलना है, आश्रम के साधकों से मिलकर बात करनी है, आश्रम में क्या होता है ?, यह देखना है, और आश्रम में प्रवेश पाने के विषय में पूछते हैं । हमें सनातन के आश्रम में प्रवेश क्यों नहीं दिया जाता ?, निरंतर सनातन से स्पष्टीकरण मांगनेवाले पत्रकार पहले इन प्रश्नों के उत्तर दें ।
सनातन के साधकों के शालीनता का अनुचित लाभ उठाकर
आश्रम के संबंध में विकृत समाचार क्यों छापे ? क्या इसका उत्तर पत्रकार देंगे ?
इससे पहले अनेक बार पत्रकारों की विनती का सम्मान कर उन्हें पनवेल और रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में प्रवेश दिया गया था । प्रत्येक बार साधकों के शालीनता का अनुचित लाभ उठाकर समाचार वाहिनियों के प्रतिनिधियों ने सनातन के आश्रम के संबंध में विकृत समाचार प्रसिध्द किया है । समाचार वाहिनियों के प्रतिनिधियों का झूठ उजागर करनेवाले कुछ उदाहरण यहां दे रहे हैं . . .
१. वर्ष २००९ में सीएनएन १८ नामक अंग्रेजी समाचार वाहिनी ने पनवेल स्थित सनातन के आश्रम के ध्यानमंदिर, रसोईघर और अन्य विभागों का चित्रीकरण किया । तत्पश्चात समाचार प्रसारित करते समय आरती का दृश्य दिखाया गया तथा आलोचना की गई कि आश्रम के साधक आरती के समय झांझ बजाते है; परंतु यह दिखावा है । साथ ही साधकों को आतंकवादी सिद्ध करने का प्रयास किया गया ।
२. वर्ष २०१५ में एबीपी माझा के पत्रकार को आश्रम में प्रवेश देकर उसे आश्रमदर्शन करवाया गया । तब कैमरामैन ने कैमरा चलाकर ध्वनिचित्रीकरण किया था । उस समय भी इस संबंध में विकृत समाचार प्रसारित किया गया ।
३. एक अंग्रेजी समाचार पत्र मुंबई मिरर की पत्रकार अलका धुपकर को आश्रम दिखाया गया । उक्त दैनिक में मानहानिकारक समाचार प्रकाशित किया गया कि आश्रम में युवतियों पर यौन अत्याचार किए जाते हैं ।
अन्य समय अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की बातें करनेवाले
यह भूल जाते हैं कि सनातन के साधकों के लिए भी वह नियम लागू है !
आधुनिकतावादी पत्रकार अभिव्यक्ति स्वतंत्रता, वैचारिक स्वतंत्रता, संविधान प्रदत्त अधिकार आदि के संबंध में अतिउत्साहित होकर बोलते हैं । सनातन के साधकों की बाईट लेने के नाम पर आश्रम में आने के इच्छुक पत्रकार बडी ही सुलभता से भूल जाते हैं कि सनातन के साधकों को भी यह व्यक्ति स्वतंत्रता है कि वे किससे बात करें तथा किससे न करें ।
जिज्ञासुओं का सनातन के आश्रम में सदैव स्वागत !
सनातन के आश्रम में अधिवक्ता शिविर, हिन्दुत्वनिष्ठ पत्रकार-संपादक शिविर, प्राथमिक उपचार शिविर आदि का आयोजन किया जाता है । इन शिविरों में देशभर के हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित रहते हैं । शिविर के समय ये हिन्दुत्वनिष्ठ आश्रम के परिवार का भाग बनकर सहजता से आचरण करते हैं ।
जिज्ञासु ही ज्ञान का अधिकारी होता है, यह अध्यात्म का वचन है । आश्रम का दैवी कार्य जानने की लगन रखनेवाले सभी का आश्रम में सदैव स्वागत किया जाता है । वर्तमान धर्मनिरपेक्ष और आधुनिकतावादी पत्रकारों में यह जिज्ञासा दिखाई नहीं देती । इसलिए स्वयं अंतर्मुख होकर विचार न करते हुए तथा अभी तक पत्रकारों द्वारा की गई अक्षम्य चूकों के लिए खेद न करते हुए आश्रम में प्रवेश नहीं दिया जाता, ऐसा कहकर पैर पटकना उलटा चोर कोतवाल को डांटे ! जैसा है ।
सनातन संस्था की शालीनता का अनुचित लाभ उठाकर पत्रकारों ने अनेक बार साधकों और आश्रम के संबंध में मनगढंत कथाएं रची हैं । इसका कटु अनुभव सनातन संस्था को है । इसी कारण विवश होकर सनातन आश्रम के न्यासियों को पत्रकारों के आश्रम प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेना पडा !
– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय न्यासी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
सनातन के आश्रम में घुसकर झूठा समाचार
प्रसारित करनेवाली ‘एबीपी माझा’ समाचारवाहिनी !
‘एबीपी माझा’ नामक मराठी समाचारवाहिनी के प्रतिनिधियों ने २३ अगस्त २०१८ को बिना किसी अनुमति के रामनाथी स्थित सनातन के आश्रम में बलपूर्वक घुसकर आश्रम का चित्रीकरण किया । साधकों ने बार-बार हाथ जोडकर चित्रीकरण न करने की विनती की, तब भी ‘कैमरा बंद है’ यह झूठ बोला गया । वास्तव में कैमरा चालू रखकर आश्रम परिसर, परिसर की महिला साधकों तथा भवन की छत पर टहल रहे संत का चित्रीकरण किया । २४ अगस्त को ‘नमस्कार महाराष्ट्र’ कार्यक्रम में इस संबंध में समाचार प्रसारित किया । समाचार प्रसारित करते समय ‘डॉ. जयंत आठवले ने मिलने से मना किया’, ‘कैमरा बंद करने के लिए साधकों ने दबाव बनाया’, इस प्रकार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी और साधकों की अपकीर्ति करनेवाली झूठी जानकारी दिखाई । इस संबंध में सनातन संस्था के व्यवस्थापकीय न्यासी श्री. वीरेंद्र मराठे ने ‘एबीपी माझा’ के संपादक और मालिक को पत्र भेजकर पूर्णतः निषेध व्यक्त किया है तथा इस संबंध में कानूनी परामर्श लेने की बात भी लिखी है ।