रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में भावपूर्ण वातावरण में ऋषियाग संपन्न !

समूचे विश्व को ज्ञान प्रदान कर मोक्षमार्ग दिखानेवाले ऋषियों के प्रति कृतज्ञता !

बाईं ओर से याग की प्रमुख देवता दक्षिणामूर्ति की प्रतिमा, दाईं ओर से भृगु ऋषि की प्रतिमा तथा उसके नीचे कलशरुप में सप्तर्षि एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रतिमा

रामनाथी – ४ वेद, ६ शास्त्र, उपनिषद, श्रुति-स्मृति तथा पुराणों के साथ विविध माध्यमों से संपूर्ण मनुष्यजाति को ज्ञान प्रदान कर मोक्षमार्ग दिखानेवाले ऋषियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने एवं इस ज्ञान द्वारा पूरे विश्व का कल्याण होने के उदात्त्त हेतु से २१ सितंबर को रामनाथी, गोवा के सनातन संस्था के आश्रम में ऋषियाग संपन्न हुआ । इस शुभ अवसर पर परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले तथा सनातन के संतों की वंदनीय उपस्थिति रही । इस अवसर पर हिन्दू धर्म, धर्मशास्त्र, देवता, संत एवं ऋषिमुनि ही नहीं, अपितु ईश्वर द्वारा दी गई विश्व की प्रत्येक वस्तु के प्रति कृतज्ञता प्रतीत होनी चाहिए, ऐसी सीख देकर सभी लोगों में यह कृतज्ञताभाव जागृत होने के लिए प्रयास करनेवाली गुरुमाईं के चरणों में साधकों ने अनंतकोटि कृतज्ञता व्यक्त की ।

२१ सितंबर के दोपहर में श्रीधन्वंतरियाग की परिसमाप्ति होने पर सायं समय ऋषियोंं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु ऋषियाग का आयोजन किया गया । इस याग का संकल्प सद्गुरु श्रीमती बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु श्रीमती अंजली गाडगीळ के शुभहाथों किया गया । तत्पश्चात श्री महागणपति पूजन, पुण्याहवाचन, सप्तर्षि मंडल, आराधना, दक्षिणामूर्ति प्रधान कलश आवाहन एवं पूजन, श्री मेधा दक्षिणामूर्ति तथा सप्तर्षि देवता मूलमंत्र जाप होने के पश्चात याग किया गया । परात्पर गुरु डॉ. आठवले के शुभहाथों पूर्णाहूति देकर याग की समाप्ति की गई ।

ज्ञान प्रदान करनेवाले ऋषियों की कलश के रुपमें हुई पूजा !

इस याग की प्रमुख देवता है दक्षिणामूर्ति (शिव का गुरु रुप) एवं उसकी पूजा, अगस्त्य, व्यास एवं शुक्र आदि ऋषि तथा अत्रि, भारद्वाज, जमदाग्नि, वसिष्ठ, गौतम, विश्वामित्र आदि ऋषि एवं उनकी अहिल्या, कुमुद्वती एवं दिति-अदिति का कलश रुपमें पूजन किया गया । पूजन उपरांत शिवस्तोत्र का पठन किया गया । पूजन के उपरांत सभी कलशों के अभिमंत्रित जल से परात्पर गुरु आठवले का प्रोक्षण किया गया एवं सद्गुरु श्रीमती बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु श्रीमती अंजली गाडगीळ का अभिषेक किया गया । याग की समाप्ति के पश्चात वेदमूर्तियों ने दोनों सद्गुरु को आशीर्वाद एवं प्रसाद दिया । तदुपरांत दोनों सद्गुरु ने उन्हें नतमस्तक होकर प्रणाम किया । याग की परिसमाप्ति के पश्चात मुख्य वेदमूर्ति गुरुमूर्ति शिवाचार्य ने परात्पर गुरु डॉ. आठवले एवं दोनो सद्गुरु की नजर उतारी ।

दोनों सद्गुरु ने पीला वस्त्र परिधान करना

ऋषियों के प्रति कृतज्ञता के रुपमें यह यज्ञ किया गया था । सभी ऋषियों के गुरु दक्षिणामूर्ति ज्ञान के प्रतीक है । पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है । इसलिए याग के अवसर पर सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ ने पीले रंग की साडी परिधान की थी ।

धर्मकार्य के लिए भावपूर्ण यज्ञयाग यह कर्तव्यकर्म है ।
यह वेदमूर्ति एवं पुरोहितों की आध्यात्मिक उन्नति का रहस्य है ।

यज्ञ के समय आहुति देते हुए मुख्य वेदमूर्ति गुरुमूर्ति एवं अन्य वेदमूर्ति एवं पुरोहित

हमारे सद्गुरु विशेष हैं । हम अभिमंत्रित जल से गुरुमूर्तियों के हाथों उनका अभिषेक करते हैं ।

सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ

क्षणिकाएं

श्रीधन्वंतरियाग एवं ऋषियाग करने हेतु वेदमूर्तियों ने समय दिया, इसलिए उनके चरणों में कृतज्ञता व्यक्त की गई ।

ज्ञानसंपन्न होते हुए भी सभी विधि करवा लिए । अतः वेदमूर्तियों ने गुरुदेव के परात्पर गुरु डॉक्टर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त कर गुरुमाई के प्रति कृतज्ञताभाव कैसा होना चाहिए, यह दिखा दिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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