प्रचारमाध्यमों का मर्यादा उल्लंघन !

गोरक्षक वैभव राऊत की बंदी के पश्‍चात प्रचारमाध्यमों में हिन्दुत्वनिष्ठों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए यहां से आरंभ हुई चर्चा सनातन संस्था पर प्रतिबंध, इस एक ही विषय पर आकर रूकी है । प्रतिदिन नई कपोलकल्पित कथा लेकर समाचार-वाहिनियों पर दिन का आरंभ होता है और दिनभर सनातन के विरोधक उसका अपलाभ उठाकर अपनी प्रसिद्धि की अभिलाषा पूर्ण करते हैं । नालासोपारा प्रकरण से संबंधित किसी को भी बंदी बनाया जाता है तो उसके धागे सनातन से कैसे जुडे हैं ?, यह खोजने का और उसे दिखाने का माध्यमों का दयनीय प्रयास होता है ।

दो-तीन दिन पूर्व एबीपी माझा समाचार-वाहिनी के प्रतिनिधिने सनातन के रामनाथी, गोवा स्थित आश्रम के परिसर में आकर परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी से मिलना है, ऐसा कहते हुए आश्रम में प्रवेश करने का प्रयास किया । उस समय आश्रम के एक साधक ने उन्हें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रकृति अस्वस्थ होने के संदर्भ में जानकारी देते हुए हाथ जोडकर नम्रता से मना किया । तब भी एबीपी माझा ने हमारे प्रतिनिधि को निकाल दिया,ऐसे समाचार प्रसारित किए । इसके अतिरिक्त आश्रम में घूम रहे एक वृद्ध साधक को देखकर डॉ. आठवले आश्रम में घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं, ऐसी झूठी जानकारी दी । तदुपरांत टी.वी. ९ मराठी, झी २४ तास और न्यूज २४ लोकमत, इन समाचार-वाहिनियों ने भी सनातन संस्था के संदर्भ में तथाकथित कवर स्टोरी बनाकर अपना सनातनद्वेष प्रकट किया । झी २४ तास ने तो समाचार देते हुए कहर ही किया । सनातन के आश्रम में लैंगिक शोषण की घटनाएं घटी हैं; परंतु विरोध होने के पश्‍चात संबंधितों के विवाह करवा दिए गए, ऐसी साफ झूठी जानकारी दी । सभी समाचार-वाहिनियों ने आश्रम के परिसर में निरोध मिले हैं । ऐसे में आश्रम में क्या चल रहा है इस संदर्भ में गूढ उत्पन्न हुआ है, सनातन संस्था और सनातन के आश्रम अर्थात कुछ गूढ है और सनातन में अनैतिक बातें होती है, ऐसा कहने का इन सभी संवाददाताआें का अशुद्ध उद्देश्य स्पष्ट दिखाई देता है ।

 

मीडिया ट्रायल किसलिए ?

टी.वी. ९ मराठी ने सनातन मर्डर केम्प नाम से कवर स्टोरी बनाते समय विविध हत्या करने के लिए सनातन द्वारा बेलगांव में किस प्रकार प्रशिक्षणकेंद्र चलाए जा रहे थे । वहां आरोपी किस प्रकार आते थे, प्रशिक्षण लेते थे, रहते थे, इस संदर्भ में रसभरा वर्णन ही किया है, तथा सनातनी भाईजान नामक कवर स्टोरी में डॉ. तावडे ही सभी हत्याआें के मास्टरमाईंड कैसे हैं, यह दिखाने का प्रयास किया है । महाराष्ट्र के गृहराज्यमंत्री दीपक केसरकर को उपरोक्त समाचार-वाहिनियों के प्रतिनिधि सनातन पर प्रतिबंध कब लगाएंगे ?, प्रतिबंध लगाएंगे या नहीं ?, ऐसे तर्कहीन प्रश्‍न पूछकर उनके मुख से सनातन पर प्रतिबंध की घोषणा करवाने का प्रयास कर रहे थे ।

प्रचारमाध्यमों पर झूठे वार्तांकन द्वारा सनातन के संदर्भ में भयावह वातावरण निर्माण किया है । इसलिए किसी को भी भय लगना स्वभाविक है । उसपर सनातन प्रभात में नामजप के विषय में सूचना प्रकाशित करने पर उसकी खिल्ली उडाई गई । अंग्रेजी समाचार-वाहिनियों पर सनातन की बाजू रखनेवालों को सीधे तुम बम क्यों बनाते हो ?, ऐसा प्रश्‍न आरंभ में ही पूछा गया । नालासोपारा में कथित बम मिलने के प्रकरण में सनातन के किसी भी साधक को बंदी नहीं बनाया है, तो भी ऐसा प्रश्‍न पूछा, उसपर इस समाचार-वाहिनी का सनातन के संदर्भ में पूर्वग्रहदूषित होना ही दिखाई दिया ।

सनातन के विरोध में आरोपों का खंडन सनातन ने समय-समय पर प्रमाण के आधार पर किया है । इस संदर्भ में आयोजित चर्चासत्रों में भी निरंतर सनातन पर लगे आरोप कितने निराधार हैं, यह सनातन के प्रवक्ताआें ने स्पष्ट किया है । ऐसा होते हुए भी समाचार-वाहिनियां सनातनद्वेष में डूबे होने के कारण बार-बार वही पुराने तथ्यहीन समाचार
दिखा रहे हैं ।

मुंबई मिरर समाचार-पत्र ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने अबतक तीन खून हुए हैं, चौथा होने के मार्ग पर है, ऐसा अत्यंत अयोग्य समाचार प्रकाशित करने पर समाचारपत्र पर मानहानि का दावा प्रस्तुत किया गया । उसकी सुनवाई कुछ माह पूर्व ही हुई । तथा संबंधित पत्रकार पर दंडात्मक कार्यवाही भी की गई । पिछले प्रकरणों के समय जिन प्रचारमाध्यमों ने झूठे समाचार प्रकाशित किए थे, उनपर मानहानि के दावे प्रविष्ट किए गए थे । उस संदर्भ में इन्हीं प्रचारमाध्यमों ने समाचार-पत्र स्वतंत्रता का गला घोंटनेवाली सनातन, ऐसे समाचार भी दिखाए । अर्थात स्वयं न्यायाधीश की भूमिका में जाकर सनातन को हत्यारे बताकर प्रतिबंध की मांग करना और सनातन ने उसका संवैधानिक मार्ग से विरोध किया, तो उसे भी स्वीकार नहीं करना, ऐसी दोहरी भूमिका प्रचारमाध्यमों की है । यह सब हिटलर के गोबेल्स (कु)नीति के उदाहरण हैं । सनातन का नाम नालासोपारा प्रकरण में कहीं भी नहीं आया है, इस संदर्भ में आतंकवाद विरोधी दल और गृहराज्यमंत्री ने जानकारी देकर भी माध्यम यह विषैला प्रचार रोकने का नाम नहीं ले रहे हैं तथा अब एकदम नीचले स्तर पर जा रहे हैं । ऐसे में इन सभी के पीछे सूत्रधार कौन है इसे खोजना आवश्यक है । इस गोबेल्स प्रचार के पीछे सूत्रधार कौन है, यह जनता को कुछ दिनों में ज्ञात हो ही जाएगा; परंतु लोकतंत्र का चौथा स्तंभ वर्तमान में कितने निचले स्तर पर आ गया है, यह खतरे की घंटी है, यह निश्‍चित है !

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment