आजकल अनेक लोगों को हृदयघात का झटका (हार्ट अटैक) आकर उसमें मृत्यु की मात्रा सर्वाधिक है । साथ ही युवावस्था में भी हृदयाघात का झटका आने की मात्रा भी प्रतिदिन बढ रही है । इसपर उपाय के रूप में प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने हाथ की तर्जनी (अंगूठे से सटी उंगली) की नोक का तलुवे से स्पर्श करें तथा अंगूठा, मध्यमा और अनामिका (करांगुली से सटी उंगली) इन उंगलियों की नोकों को एक-दूसरे से लगाएं और यह मृत संजीवनी मुद्रा प्रतिदिन ३० मिनटोंतक करती है, तो उससे उसका हृदय सशक्त रहेगा तथा अकालीन हृदयघात का झटका आने की मात्रा निश्चितरूप से घटेगी । यह मुद्रा कर अनाहतचक्र अथवा हृदय के स्थानपर न्यास करने से उसका अधिक लाभ होगा ।
कुछ मास पूर्व मेरे हृदयपर बीच-बीच में दबाव प्रतीत होता था । उस समय मै जब यह मुद्रा करता, तो उससे दबाव दूर हो जाता था, ऐसा मुझे प्रतीत हुआ । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने भी ‘प्राणशक्तिवहन उपायपद्धति में मुद्राआें का महत्त्व विशद किया है । उसके कारण मेरा मुद्राशास्त्र के प्रति विश्वास अधिक बढ गया है ।
विकार-निर्मूलनमें मुद्राओंका महत्त्व जानने हेतु पढें मुद्रा
– डॉ. रवींद्र भोसले.