१. शिवजी के नामजप का महत्त्व
‘नमः शिवाय ।’ यह शिवजी का पंचाक्षरी नामजप है । इस मंत्र का प्रत्येक अक्षर शिव की विशेषताओंका निदर्शक है । जहां गुण हैं वहां सगुण साकार रूप है । ‘नमः शिवाय ।’ इस पंचाक्षरी नामजप को निर्गुण ब्रह्म का निदर्शक ‘ॐ’कार जोडकर ‘ॐ नमः शिवाय’ यह षडाक्षरी मंत्र बनाया है । इस मंत्र का अर्थ है, निर्गुण तत्त्वसे अर्थात ब्रह्मसे सगुण की अर्थात माया की ओर आना ।
२. शिवजी के नामजप में ‘ॐ’कार लगाने का परिणाम
माया की निर्मिति के लिए प्रचंड शक्ति आवश्यक होती है । उसी प्रकार की शक्ति ओंकारद्वारा निर्माण होती है । ओंकारद्वारा निर्माण होनेवाले स्पंदनोंसे शरीरमें अत्यधिक शक्ति अर्थात उष्णता निर्माण होती है । यह शक्ति न सहपानेसे सर्वसामान्य व्यक्तिको आम्लपित्त, उष्णता बढने जैसे शारीरिक कष्ट होना अथवा अस्वस्थ लगने जैसे मानसिक कष्ट होने की संभावना भी रहती है । महाशिवरात्रि पर कार्यरत शिवतत्त्व का अधिकाधिक लाभ लेने हेतु हमारे धर्मशास्त्र में महाशिवरात्रि व्रत का विधान भी बतायां है ।