गुरुपूर्णिमा महोत्सवों में हिन्दू राष्ट्र स्थापना का जागरण !
मुंबई, ठाणे, रायगढ, नई मुंबई, साथ ही उत्तर महाराष्ट्र में भी भावपूर्ण वातावरण में गुरुपूर्णिमाएं संपन्न !
गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस होता है गुरुपूर्णिमा ! गुुरु शिष्य को आत्मज्ञान प्रदान कर जीवन-मृत्यु के चक्र को उसे मुक्त करते हैं । गुरु-शिष्य परंपरा भारत की एक अनोखी विशेषता है । आज देश की स्थिति को देखते हुए हिन्दुआें का कोई संरक्षक नहीं है । देश में साधना के लिए भी प्रतिकूल वातावरण है । अतः इस स्थिति में परिवर्तन लाना तथा हिन्दुआें को साधना के लिए अनुकूल वातावरण बनाना आज आवश्यक बन गया है और इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना अनिवार्य है । गुुरुपूर्णिमा के मंगल दिवसपर भी उपस्थित वक्ताआें के उद्बोधक मार्गदर्शनों से हिन्दू राष्ट्र स्थापना का ही जागरण किया गया ।
मुंबई
मुलुंड तथा वसई, साथ ही नई मुंबई के खारघर में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में सुबह के सत्र में साधकों को साधना के विषय में मार्गदर्शन किया गया, साथ ही गुणी छात्र तथा जिज्ञासुआें के लिए मार्गदर्शन का आयोजन किया गया । मुलुंड की गुरुपूर्णिमा में सनातन की संत पू. (श्रीमती) संगीता जाधवजी की वंदनीय उपस्थिति थी । इस अवसरपर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु चल रहा हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य विशद करनेवाली चित्रचक्रिका दिखाई गई । कार्यक्रम के अंतिम सत्र में प्राथमिक चिकित्सा तथा स्वरक्षा प्रदर्शन प्रस्तुत किए गए ।
सम्मान
मुलुंड
१. १०वीं कक्षा में ८५ प्रतिशत गुण अर्जित कर उत्तीर्ण बनने के लिए बालसाधिका कु. संस्कृति गुरव को सम्मानित किया गया ।
२. धर्मकार्य में समय-समयपर सहायता करनेवाले भाजपा पार्षद श्री. प्रकाश गंगाधरे को सम्मानित किया गया ।
वसई
१. धर्मकार्य में उल्लेखनीय सहभाग के लिए भाजपा के अंधेरी नगर अध्यक्ष श्री. वसंत दहिफळे को सम्मानित किया गया ।
२. १०वीं कक्षा में ९४ प्रतिशत गुण अर्जित कर उत्तीर्ण बनने के लिए बालसाधक कु. सनत पेडणेकर को सम्मानित किया गया ।
विशेष सहयोग
१. श्री. प्रभानंद राणे ने गुरुपूर्णिमा के लिए सभागार निःशुल्क उपलब्ध कराया ।
२. भाजपा पार्षद श्री. प्रकाश गंगाधरे ने गुरुपूर्णिमा के प्रसार के लिए कक्ष निःशुल्क उपलब्ध कराया ।
ग्रंथ प्रदर्शनी
सनातन निर्मित ‘रिमूवल ऑफ पर्सनॅलिटी डिफेक्ट्स थ्रु ऑटोसजेशन’ तथा ‘हाऊ दू आईडेंटिफाई पर्सनॅलिटी डिफेक्ट्स इन अवरसेल्फ’ इन २ अंग्रेजी भाषा के नए ग्रंथों का, साथ ही गुरुपूर्णिमा स्मरणिका- २०१८ का सनातन की संत पू. (श्रीमती) संगीता जाधव के हस्तों विमोचन किया गया ।
उपस्थिती
मुलुंड की गुरुपूर्णिमा में ३२५ जिज्ञासु तथा धर्मप्रेमी, साथ ही २०० साधक उपस्थित थे ।
वसई की गुुरुपूर्णिमा का ४०० जिज्ञासुआें ने लाभ उठाया ।
खारघर की गुरुपूर्णिमा में ४०० साधक तथा धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।
मार्गदर्शन
मुलुंड की गुरुपूर्णिमा में सनातन संस्था के श्री. अभय वर्तक ने ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र तथा धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र’ विषयपर, मुलुंड में सनातन संस्था की प्रवक्ता श्रीमती नयना भगत ने, तो वसई में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने उपस्थित जिज्ञासुआें को संबोधित किया ।
वर्ष २०१३ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है ! –
अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नैशनल पार्टी युवा मोर्चा
आज के दिन समाज में ‘भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया गया, तो भारतीय लोकतंत्र संकट में पड जाएगा’, यह दुष्प्रचार किया जा रहा है । आज के दिन भारत में ७० प्रतिशत से अधिक हिन्दू हैं, तब भी भारतीय लोकतंत्र सुरक्षित है, तो हिन्दू राष्ट्र में वह कैसे संकट में पड जाएगा ? आज हिन्दुआें को सांप्रदायिक कहकर प्रताडित किया जाता है । भारत में मुसलमान तथा ईसाई आक्रमणकारी आने के पूर्व भारत हिन्दू राष्ट्र ही था । हिन्दु धर्म अखिल मनुष्यजाति का कल्याण करनेवाला एकमात्र धर्म है, इसे विश्व ने स्वीकार किया है; उसके कारण आज अनेक लोग हिन्दू धर्म का स्वीकार कर रहे हैं । विदेशी चलचित्र निर्माताआें ने भारतीय धर्मशास्त्रपर आधारित चलचित्र बनाए हैं; परंतु दुर्भाग्यवश हमें ही हमारे धर्म का महत्त्व अभीतक ज्ञात नहीं हुआ है । राजा यदि साधक प्रवृत्तिवाला तथा इंद्रियनिग्रह करनेवाला हो, तभी प्रजा वास्तविकरूप से सुखी बनती है । आज स्थिति ऐसी नहीं है । गीता में बताए जाने के अनुसार पांडवों की विजय निश्चित थी; क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण उनके साथ थे । अतः वर्ष २०२३ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है; क्योंकि आज भगवान श्रीकृष्ण हमारे साथ हैं ।
खारघर
अंग्रेजों ने इस देश को छोडते समय एक ही स्थानपर खडी
साईकील जैसी व्यवस्था बनाकर रखी ! – शिवकुमार पांडे, प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ
कुछ साईकिलें ऐसी होती हैं कि चाहे कितना भी पैडल चलाया, तो भी वह आगे नहीं जातीं । अंग्रेजों ने भारत छोडते समय भारत में इसी प्रकार की व्यवस्था बनाकर रखी । इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही एकमात्र विकल्प है । पहले कोई योद्धा युद्धभूमिपर लडते हुए दिखाई दिया, तो लोग ऐसा कहते थे कि फला गुरुदेवजी का शिष्य लड रहा है । जैसे कि परशुरामजी का शिष्य भीष्म, द्रोणाचार्यजी का अर्जुन आदि उन शिष्यों की पहचान थी । अंग्रेजों ने धूर्तता के साथ कांग्रेस की स्थापना कर धर्मनिरपेक्षता के नामपर हमारी शिक्षापद्धति अपने नियंत्रण में ली । यहां के शिक्षकों ने छात्रो को राष्ट्रवाद और धर्मवाद नहीं सिखाया, जिससे कि आगे जाकर ये बच्चे कहीं छत्रपति शिवाजी महाराज की भांति न हों ।
लोकतांत्रिक राज्यप्रणाली ने आजतक कभी भी सुराज्य नहीं दिया ! – अभय वर्तक, सनातन संस्था
आजतक कभी यहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने सुराज्य नहीं दिया । धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था मूलरूप से भारत की नहीं, अपितु युरोप की है । लोक यहां की राजसत्ता के विरुद्ध विद्रोह न करें; इसके लिए उसे बनाया गया था । आज बिना चंदा दिए विद्यालयों में प्रवेश नहीं मिलता । विगत ४ युगों से हमारे सैकडों सम्राट तथा ऋषिमुनियों द्वारा निर्मित राज्यव्यवस्था, न्यायतंत्र, नगररचना शास्त्र तथा अर्थशास्त्र के अनुसार सफल शासनतंत्र चलाया गया है । हम उसी के अनुसार हिन्दू राष्ट्र को चलाएंगे । राज्यकर्ता, बुद्धिजीवी तथा प्रसारमाध्यमों से हिन्दुआें को जनमघुट्टी पिलाई; उससे हिन्दुआें ने अपनी संस्कृति, शास्त्र और परंपराआें को त्याग दिया है । इन सभी को पुनरूज्जीवित करने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य बन गया है ।
वसई परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी की आज्ञा से हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य कर प्रत्येक
हिन्दू को स्वयं का भी कल्याण कर लेना चाहिए ! : ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लष्कर-ए-हिन्द
विश्व में केवल हिन्दू धर्म ही स्वयंभू है । विश्व के किसी भी धर्म अथवा पंथ में हिन्दू धर्म जैसी व्यापकता, सर्वसमावेशकता और विश्वकल्याण की भावना नहीं है । जिस प्रकार से शिवाजी महाराज ने अपने गुरु समर्थ रामदासस्वामी की आज्ञा से हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की, स्वामी विवेकानंद ने अपने गुुरु समर्थ रामदासस्वामी की आज्ञा से हिन्दू धर्म का ध्वज पूरे विश्व में फहराया, उसी प्रकार से परात्पर गुुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले की आज्ञा से प्रत्येक हिन्दू को स्वयं का भी कल्याण कर लेना चाहिए । हम सभी के जीवन में परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के रूप में मिले मार्गदर्शक गुरुदेवजी के कारण तथा हम सभी के जीवन में बहुत परिवर्तन आया है । अतः प्रत्येक जीव के लिए साधना आवश्यक है ।