१. औषधीय वनस्पतियों के रोपण की आवश्यकता
आगामी भीषण आपातकाल में स्वास्थ्य की रक्षा हेतु हमें एलोपैथिक औषधियों से नहीं, अपितु औषधीय वनस्पतियों से सहायता मिलेगी । प्यास लगने पर कुआं नहीं खोदा जाता ! इस आशय की एक कहावत है । अतः आगामी भीषण आपातकाल में अल्प मूल्य की बहुगुणी विविध औषधीय वनस्पतियां सहजता से उपलब्ध हों, इसके लिए उन्हें अभी से घर के आसपास अथवा खेत में रोपना आवश्यक है ।
२. औषधीय वनस्पतियों का रोपण करने के पूर्व ध्यान रखने योग्य सूत्र
औषधीय वनस्पतियों का रोपण वर्षाकाल के पूर्व, अर्थात १५ जून से १५ जुलाई की कालावधि में करने पर उनका विकास भलि-भांति होता है ।
३. गमले में पौधा कैसे लगाएं और उसकी देखभाल कैसे करें ?
३ अ. गमले में मिट्टी भरने की पद्धति
गमले की पेंदी में जो छेद हैं, उसपर एक खपडे का छोटा टुकडा अथवा छोटी-पतली गिट्टी रख दें । इससे गमले का अतिरिक्त पानी तो बह जाता है, परन्तु मिट्टी सुरक्षित रहती है । अब इस पर नारियल का बाहरी कठोर आवरण अथवा ईंट के बहुत छोटे-छोटे टुकडे अथवा पत्थर की बहुत छोटी-छोटी गिट्टियां अथवा कंकड बिछा दें । इससे गमले में जमा अतिरिक्त जल छनकर निकल जाएगा । अब भीमसेनी कपूर की एक छोटी टिकिया का चूर्ण बनाकर कंकडों की इस परत पर छिडक दें । पश्चात, आपने पहले जो मिट्टी बनाकर रखी है, उसे हाथों से उठाकर धीरे से गमले को आधा भरें और हिलाएं । गमला हिलाने से मिट्टी उसमें सब ओर फैल जाएगी । इसके पश्चात उस मिट्टी को हाथ से थोडा दबा दें । अब आपका गमला पौधा लगाने योग्य हो गया है ।
३ आ. गमले में पौधा लगाकर उसे पानी देना
जो पौधा हम लगानेवाले हैं, उसे गमले में बीचोबीच रखकर, उसे मिट्टी से भर दें । मिट्टी इतनी डालें कि पौधे की जड के पास रिक्ति न रहे । इसके लिए मिट्टी को हाथसे थोडा दबा दें । गमले में पर्याप्त पानी रहने के लिए उसे ऊपर से २ इंच खाली रखें । पौधा लगाने पर उसे तुरंत पानी दें । शीतकाल में गमले के पौधे को २४ घंटे में एक बार पानी देना पर्याप्त है । यथासम्भव, पानी सायंकाल में दें । इससे पानी वाष्प बनकर उडता नहीं, साथ ही पौधों को पूरा विश्राम मिलेगा और वे अधिक हरे-भरे दिखाई देंगे । किन्तु,ग्रीष्मकाल में इन्हें दिन में दो बार पानी देना आवश्यक है । गमले में पौधे के चारों ओर से पानी दें । गमले में से निकला मिट्टी का पानी घर में न फैलकर भूमि खराब न हो, इसके लिए गमले के नीचे प्लास्टिक अथवा धातु का पुराना पात्र रखें ।
३ इ. पौधे को तरल खाद देना और इसे बनाने की विधि
गमले के पौधोंको १५ दिनके अन्तराल पर तरल खाद देने से, वे सदैव लहलहाते रहेंगे । इसके लिए, गाय का लगभग एक कटोरी नया गोबर एक लोटा पानी में घोलकर २४ घंटे के लिए छोड दें । पश्चात उसमें सनातन भीमसेनी कपूर के छोटे-से टुकडे का चूर्ण अच्छे से मिला दें । अब यह घोल एक-एक प्याला प्रत्येक पौधे को दें । यह खाद डालने के पहले, उस गमले में पानी देना आवश्यक है । कुछ पौधे स्वभावतः अधिक पानी सोखते हैं । जब ऐसे पौधों की जडों में यह पतली खाद पहले डाली जाएगी, तब वे इसे अधिक मात्रा में पीएंगे, जिससे उनकी हानि हो सकती है अथवा वे मर सकते हैं ।