प.पू. रामभाऊस्वामीजी द्वारा गोवा के सनातन आश्रम में
किए गए उच्छिष्ट गणपति यज्ञ का वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन के उद्देश्य से यु.टी.एस्. (Universal
Thermo Scanner) नामक उपकरण की सहायता के अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से किया गया वैज्ञानिक परीक्षण !
यज्ञ सनातन वैदिक धर्म का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । धर्मग्रंथों में राजसूय, अश्वमेध, पुत्रकामेष्टि आदि यज्ञों की विस्तृत जानकारी मिलती है । धर्मग्रंथ में वर्णित यज्ञ का समाज को लाभ हो; इसके लिए कुछ संत प्रयासरत हैं । संतों के अथक परिश्रम के कारण ही आज यज्ञसंस्कृति टिकी हुई है । यज्ञसंस्कृति की रक्षा हेतु प्रयासशील तंजावूर, तमिलनाडू के महान योगी प.पू. रामभाऊस्वामीजी अपने विशेषतापूर्ण यज्ञों द्वारा समाज को भौतिक तथा आध्यात्मिक स्तर का लाभ पहुंचाने का दैवीय कार्य कर रहे हैं । उन्होंने १५.१.२०१६ को गोवा के सनातन आश्रम में उच्छिष्ट गणपति यज्ञ का आरंभ किया । इस यज्ञ का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करने के लिए यु.टी.एस्. (Universal Thermo Scanner) नामक उपकरण से परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के निरीक्षण तथा उनका विवरण आगे दे रहे हैं ।
१. वैज्ञानिक परीक्षण का उद्देश्य
किसी घटक में (वस्तु, वास्तु, प्राणी तथा व्यक्ति) में कितने प्रतिशत सकारात्मक रंगें हैं, यह वह घटक सात्त्विक है अथवा नहीं, साथ ही वह आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है अथवा नहीं, यह बताने के लिए सूक्ष्म का समझ आना आवश्यक होता है । संत सूक्ष्म का जान सकते हैं; इसलिए वे प्रत्येक घटक में व्याप्त तरंगों का अचूक निदान कर सकते हैं । श्रद्धालु तथा साधक संतों द्वारा बताई गई बात को शब्दप्रमाण मानकर उसके प्रति श्रद्धा रखते हैं; परंतु बुद्धिजीवियों को शब्दप्रमाण नहीं, अपितु प्रत्यक्ष प्रमाण मानते हैं । उन्हें प्रत्येक बात वैज्ञानिक परीक्षण द्वारा अर्थात यंत्र के द्वारा सिद्ध कर दिखाई गई, तभी वे उसपर विश्वास करते हैं ।
२. परीक्षण का स्वरूप
इस परीक्षण में यु.टी.एस्. उपकरण की सहायता से यज्ञ आरंभ करने से पहले तथा यज्ञ के पहले दिन के पश्चात यज्ञकुंड का परीक्षण किया गया । इन दोनों परीक्षणों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया ।
३. वैज्ञानिक परीक्षण में निहित घटकों के विषय में जानकारी
३ अ. उच्छिष्ट गणपति यज्ञ
१५.१.२०१६ को गोवा के सनातन आश्रम में इस यज्ञ का आरंभ हुआ ।
३ आ. यज्ञ करनेवाले संत प.पू. रामभाऊस्वामीजी
वे तमिलनाडू के तंजावूर के ७८ वर्ष आयु के संत हैं । वे समर्थ रामदासस्वामीजी की परंपरा के महान योगी हैं ।
४. यु.टी.एस्. (Universal Thermo Scanner) नामक
उपकरण की सहायता से प्रभामंडल गिनना
४ अ. यु.टी.एस्. उपकरण का परिचय
इस उपकरण को ऑरा स्कैनर भी कहा जाता है । इस उपकरण की सहायता से किसी घटक (वस्तु, वास्तु, प्राणी तथा व्यक्ति) की ऊर्जा तथा उसके आसपास के प्रभामंडल को गिना जाता है । भाग्यनगर, तेलंगना के भूतपूर्व परमाणु वैज्ञानिक डॉ. मन्नम मूर्ति ने वर्ष २००३ में इस उपकरण का अविष्कार किया । वास्तु, चिकित्साशास्त्र, पशुचिकित्सा शास्त्र तथा वैदिक शास्त्रों में आनेवाली बाधाआें का अनुमान लगाने के लिए इस उपकरण का उपयोग किया जाता है, ऐसा वे बताते हैं ।
४ आ. इस उपकरण की सहायता से किए जानेवाले परीक्षण के घटक तथा उनका विवरण
४. आ १. नकारात्मक ऊर्जा
यह ऊर्जा हानिकारक होती हैं तथा वह २ प्रकार की होती हैं ।
अ. अवरक्त ऊर्जा (इन्फ्रारेड) : इसमें घटक से प्रक्षेपित होनेवाली इन्फ्रारेड ऊर्जा नापी जाती है ।
आ. जंबुपार ऊर्जा (अल्ट्रावायोलेट) : इसमें घटक से प्रक्षेपित होेनवाली अल्ट्रावायोलेट ऊर्जा नापी जाती है ।
४ आ २. सकारात्मक ऊर्जा
यह ऊर्जा लाभदायक होती है तथा उसे नापने के लिए स्कैनर में सकारात्मक ऊर्जा को दर्शानेवाला +Ve यह प्रारूप रखा जाता है ।
४ इ. यु.टी.एस्. उपकरण की सहायता से प्रभामंडल को नापना
प्रभामंडल को नापने के लिए उस घटक के सर्वाधिक तरंगवाले प्रारूप का उपयोग किया जाता है, उदा. किसी व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार अथवा उसका छायाचित्र, वनस्पति के संदर्भ में उसका पत्ता, प्राणी के संदर्भ में उसके बाल, वास्तु के संदर्भ में वहां की मिट्टी तथा देवता की मूर्ति के संदर्भ में उस मूर्ति को लगाए गए चंदन, गंध, शेंदुर आदि का उपयोग किया जाता है ।
५. परीक्षण में समानता आने के लिए रखा गया ध्यान
अ. उपकरण का उपयोग करनेवाला व्यक्ति आध्यात्मिक कष्टरहित (नकारात्मक तरंगें) था ।
आ. उपकरण का उपयोग करनेवाले व्यक्ति द्वारा परिधान किए गए वस्रों के रंग का परीक्षणपर कोई परिणाम न हो, इसके लिए उस व्यक्ति द्वारा श्वेत रंग के वस्र धारण किए गए थे ।
६. निरीक्षण तथा उनका विवेचन
परीक्षण के सूत्र | यज्ञ आरंभ होने से पूर्व | यज्ञ का प्रथम दिन होने के उपरांत |
---|---|---|
प्रविष्टि किए की दिनांक और समय | १५.१.२०१५ सवेरे ८ बजे | १६.१.२०१५ सवेरे ८ बजे |
१. ‘यू.टी.एस.’ प्रविष्टि | ||
१ अ. नकारात्मक ऊर्जा | ||
अ १. इन्फ्रारेड | ||
अ. स्कैनर द्वारा बनाया कोन (अंश) | 0 | 0 |
आ. प्रभामंडल (मीटर) (टीप १) | नहीं | नहीं |
अ २. अल्ट्रावायोलेट | ||
अ. स्कैनर द्वारा बनाया कोन (अंश) | 0 | 0 |
आ. प्रभामंडल (मीटर) (टीप १) | नहीं | नहीं |
१ आ. सकारात्मक ऊर्जा | ||
आ १. स्कैनर द्वारा बनाया कोन (अंश) | ९० | १०० |
आ २. प्रभामंडल (मीटर) (टीप १) | नहीं | नहीं |
१ इ. यज्ञकुंड की मिट्टी के नमूना का उपयोग कर नापा प्रभामंडल (मीटर) | १.२४ | २.३१ |
६ अ. यु.टी.एस्. (Universal Thermo Scanner) उपकरण की सहायता से प्राप्त निरीक्षण
टीप १ : स्कैनर को १८० अंश के कोन में खोलने से ही उस घटक का प्रभामंडल नापा जा सकता है । यदि उससे अल्प अंश को कोन में स्कैनर खुल गया, तो उसका अर्थ उस घटक के आसपास प्रभामंडल ही नहीं है, ऐसा होता है ।
६ आ. निरीक्षणों का विवेचन
१. यज्ञ का आरंभ होने से पहले तथा यज्ञ का पहला दिन पूर्ण होने के पश्चात भी यज्ञकुंड के स्थानपर नकारात्मक ऊर्जा दिखाई नहीं दी ।
२. यज्ञ का आरंभ होने से पहले यज्ञकुंड का प्रभामंडल १.२४ मीटर था । यज्ञ का पहला दिन समाप्त होने के पश्चात वह बहुत बढकर २.३१ मीटर हुआ ।
३. रामनाथी आश्रम का परिसर पहले से ही सात्त्विक अर्थात सकारात्मक होने से यज्ञ आरंभ होने से पहले तथा यज्ञ के पहले दिन के निरीक्षणों में विशेष अंतर दिखाई नहीं देता; परंतु अन्यत्र यज्ञ करने से बहुत अंतर दिखाई पडता है ।
७. निष्कर्ष
इस यज्ञ के करण वातावरण के सकारात्मक तरंगों में बढोतरी हुई, यह इस परीक्षण से ध्यान में आता है ।
– श्री. रूपेश लक्ष्मण रेडकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा (१६.१.२०१६)
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