गुरुकृपायोग के अनुसार अष्टांग योगमार्ग से साधना करने से गुुरुकृपा शीघ्र होती है ! – योगेश शिर्के, सनातन संस्था

मुंबई में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण कार्यशाला !

आत्मबल बढाने के लिए तथा ईश्‍वरप्राप्ति के लिए साधना आवश्यक है । जीवन में कभी-कभी अपेक्षित प्रयास कर भी सफलता नहीं मिलती । दुख के पीछे आध्यात्मिक कारण होता है, यह मनुष्य के ध्यान में नहीं आता । उसके लिए योग्य मार्ग से साधना आवश्यक है । गुरुकृपायोग के अंतर्गत अष्टांग योगमार्ग से साधना करते समय स्वयं में विद्यमान दोष तथश अहंकार का निर्मूलन करने के लिए प्रयास करने से गुुरुकृपा शीघ्र संभव होती है ।

 

धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए युवक अपना योगदान
दें ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

सहभागी युवक-युवतियों का स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन प्रक्रिया के अनुसार साधना का निश्‍चय !

दीपप्रज्वलन करती हुईं पू. (श्रीमती) संगीता जाधवजी तथा साथ में श्री. सुनील घनवट

मुंबई, ७ सितंबर (संवाददाता) : देश में हिन्दू बहुसंख्यक हैं, साथ ही देश के महत्त्वपूर्ण पदोंपर भी हिन्दू ही बहुसंख्यक होते हुए भी यह राष्ट्र हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं होता । जन्म से बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दुत्व का विचार करनेवाले हिन्दूआें की संख्या अल्प है । भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि की बढती संख्या के कारण लोकतंत्र निरर्थक सिद्ध हुआ है । इसलिए आदर्श राष्ट्र के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही एकमात्र विकल्प है । इस धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए युवक अपना योगदान दें । हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य के संगठक श्री. सुनील घनवट ने यह आवाहन किया । ३ सितंबर को हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुलुंड के मुलुंड सेवा संघ के सभागार में आयोजित हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण कार्यशाला में वे ऐसा बोल रहे थे ।

कार्यशाला के प्रारंभ में शंखनाद तथा उसके पश्‍चात पू. (श्रीमती) संगीता जाधव के शुभहस्तों दीपप्रज्वलन किया गया । श्रीमती जान्हवी भर्दिके ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । इस समय राष्ट्र एवं धर्म के विषय में जागृति करनेवाली ध्वनिचित्रचक्रिका दिखाई गई । इस कार्यशाला की विशेषता यह रही कि इस कार्यशाला में सहभागी युवक-युवतियों को हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए सबसे पहले स्वयं में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है, इसका भान हुआ और उसक ेलिए उन्होंने स्वभावदोष तथा अहंनिर्मूलन प्रकिया को समझकर उसके अनुसार साधना का निश्‍चय किया ।

 

दोष तथा अहं का निर्मूलन कर स्वयं में गुणों की वृद्धि करने से आदर्श
व्यक्तित्व बनाया जा सकता है ! – श्रीमती जान्हवी भर्दिके, हिन्दू जनजागृति समिति

अनेक कारणों से मन तनावग्रस्त होकर जीवन में निराशा आती है । इसके लिए आदर्श व्यक्तित्व बनाना तथा स्वयं में गुणों का संवर्धन करने के लिए स्वभावदोष तथा अहं निर्मूलन की प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है । घर में चोर घुस गया, तो हम उसका स्थान ढूंढते हैं; उसी प्रकार से हम में विद्यमान दोष का स्थान हमारे मन में होता है ।

इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई समन्वयक श्री. सागर चोपदार ने व्यापक धर्मकार्य कर किस प्रकार से संगठन किया जा सकता है, इस विषय में, तो डॉ. लक्ष्मण जठार ने स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन प्रक्रिया किस प्रकार से चलाई जाती है, इस विषय में सविस्तर जानकारी दी । इस कार्यशाला में दोषों की व्यापकता कैसे निकाली जाती है, इस विषय में विस्तृत जानकारी दी गई ।
इस कार्यशाला में समूहचर्चा भी ली गई, साथ ही राष्ट्र एवं धर्मकार्य में किसी प्रकार से सहभाग लिया जा सकता है, यह भी बताया गया ।

 

स्वभावदोष-अहं निर्मूलन प्रक्रिया को समझ लेने से उपस्थित धर्मप्रेमियों को प्राप्त लाभ

१. इस कार्यशाला के कारण मुझ में सकारात्मकता बढी । इससे अधिक गति से धर्मकार्य करना संभव होगा । श्री. अमोल उतेकर, गोरेगाव

२. कार्यशाला बहुत ही अनुशासित थी । इसमें मुझे साधना तथा धर्मशिक्षा की जानकारी मिली और स्वयं में व्याप्त स्वभावदोष भी ध्यान में आए ।
– श्रीमती भारती करंडे, जुईनगर

३. मेरे द्वारा की जानेवाली साधना ईश्‍वर को समर्पित नहीं होती । ईश्‍वर से एकरूप होने के लिए मैं कहां अल्प पड रहा हूं ?, मुझ में विद्यमान किन स्वभावदोषों के कारण मैं साधना में पिछड रहा हूं ?, इसका भान मुझे इस कार्यशाला में हुआ ।
कु. नेहा सतीश सावंत, सांताक्रूज

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