सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के नेतृत्व में महर्षि
अध्यात्म विश्वविद्यालय के समूह का दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अध्ययनयात्रा
इंडोनेशिया के लोग विविध प्रकार की विशेषतापूर्ण बाटिक नक्काशीवाले कपडों में घूमते हुए दिखाई देते हैं । इस विषय में अधिक जानकारी लेते समय यह ध्यान में आया कि प्रत्येक प्रकार की नक्काशी का एक अलग अर्थ तथा अलग महत्त्व होता है । सत्त्व-रज-तम इन त्रिगुणों के अनुसार सात्त्विक नक्काशी कैसी होनी चाहिए ?, वहां के लोगों को चाहे यह ज्ञात नहीं हो, तभी बुद्धि के बलपर ही क्यों नहीं; परंतु उनके द्वारा मनुष्य जीवन की विविध घटनाआें के अनुरूप तथा आध्यात्मिक दृष्टि से भी दैवीय कृपा प्राप्त होने के विचार को ध्यान में रखकर किया गया यह प्रयास विशेषतापूर्ण, महत्त्वपूर्ण तथा अध्ययनयोग्य लगता है । इंडोनेशिया की भांति मलेशिया में भी हमें इस प्रकार के विशेषतापूर्ण बाटिक नक्काशीवाले कपडे देखने के लिए मिलते हैं ।
– श्री. दिवाकर आगावणे, सिंगापुर (११.४.२०१८)
बाटीक नक्काशीवाले कपडे तथा उस नक्काशी की परंपरा को टिकाए
रखने के लिए प्रयास करनेवाले इंडोनेशिया के राज्यकर्ता तथा नागरिक !
१. ‘बाटीक’ शब्द का अर्थ तथा कपडेपर उस नक्काशी को अंकित करने की पद्धति
‘भारत में जिस प्रकार से खादी का कपडा विख्यात है, उसी प्रकार से इंडोनेशिया में सूती बाटीक प्रकार के नक्काशीवाला राष्ट्रीय कपडा विख्यात है । ‘बाटीक’ शब्द जावानीस भाषा का शब्द है । उसका अर्थ ‘लिखना अथवा बिंदु अथवा नक्षी अंकित करना’ है । मोम में प्राकृतिक रंगों को मिलाकर विविध रंग बनाए जाते हैं तथा उससे सूती कपडेपर हाथ से विशिष्ट प्रकार से नक्काशी की जाती है । भारत के राजस्थान में जिस प्रकार से कपडेपर नक्काशी होती है, उसी प्रकार की यह नक्काशी होती है । इंडोनेशिया में बाटीक नक्काशी का बडा व्यवसाय चलता है ।
२. विविध कार्यक्रमों में परिधान किए जानेवाले विविध प्रकार की बाटीक नक्काशीवाले कपडे
कपडेपर की जानेवाली नक्काशी का भी पारंपरिक विशेषता है । कुमारिका, उसकी माता तथा अस्वस्थ व्यक्ति, साथ ही दुख के तथा आनंद के क्षणों में परिधान करने के लिए, ऐसी विविध नक्काशी तथा उस संबंधित नक्काशी के महत्त्ववाला कपडा होता है । विशेष राजनीतिक वेशभूषा के अंतर्गत राजा तथा रानी, साथ ही राजवंश के व्यक्ति ही केवल परिधान कर सकेंगे, इस प्रकार की अलग स्वतंत्र नक्काशीवाले कपडे भी होते हैं । देश के विविध प्रांतों की भी एक विशिष्ट बाटीक नक्काशी होती है ।
३. पहले से चली आ रही बाटीक नक्काशी की परंपरा को संजोया जाए, इसके लिए
इंडोनेशिया के सरकर द्वारा २ अक्टूबर का दिन ‘राष्ट्रीय बाटीक दिवस’ के रूप में घोषित किया जाना
इंडोनेशिाया में २ अक्टूबर का दिन ‘राष्ट्रीय बाटीक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । इस दिन वहां के सभी नागरिक स्मरणपूर्वक बाटीक वस्त्र पहनते हैंह । वहां के पूर्व राष्ट्रपति तथा वहां की सरकार ने ही इस व्यवसाय को प्रोत्साहन मिले तथा राष्ट्रीय परंपरा का भाग बने बाटीक वस्त्रों की धरोहर आगे भी टिकी रहे, इसके लिए नागरिकों को सप्ताह में न्यूनतम एक दिन अर्थात शुक्रवार को तथा राष्ट्रीय छुट्टी के दिन बाटीक नक्काशीवाले बाटीक वस्त्रों को परिधान करने का आवाहन किया था । वहां के नागरिक स्वयंस्फूर्ति से केवल शुक्रवार को ही नहीं, अपितु गुुरुवार तथा शुक्रवार इन दोनों दिनों को बाटीक वस्त्र परिधान करते हैं । उसके लिए किसी को भी आग्रह करने की आवश्यकता नहीं होती । यहां के राजा तथा प्रजा इन दोनों ने भी इस परंपर को संजोया है, यह सिखनेयोग्य है ।
४. भारतीय जनता की उदासीनता
भारत में भी खादी के कपडे का एक अलग महत्त्व है; परंतु भारतीय लोग इस कपडे का अधिक मात्रा में उपयोग करते हुए दिखाई नहीं देते ।’
– श्री. दिवाकर आगावणे, नोम फेन, कंबोडिया (२४.३.२०१८)