सारणी
१. श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधनके दिन ही मनाया जानेवाला श्रावणमासका अन्य महत्त्वपूर्ण त्यौहार है नारियल पूर्णिमा
२. नारियल पूर्णिमा त्यौहारकी एक झलक
३. सागरको नारियल अर्पण करनेके सूक्ष्म-परिणाम
१. श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधनके दिन ही मनाया
जानेवाला श्रावणमासका अन्य महत्त्वपूर्ण त्यौहार है नारियल पूर्णिमा
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्षाका परिमाण घटता है । आंधी अथवा तूफानके कारण उफननेवाला समुद्र भी इस कालमें शांत होता है । इसलिए इस दिन समुद्रतट पर जाकर समुद्रकी अर्थात वरुणदेवताकी पूजा की जाती है । वरुण देवता जलपर नियंत्रण रखनेवाले देवता हैं । पूजाके कारण वरुणदेवता प्रसन्न होते हैं, इस कारण समुद्री संकटोंका सामना नहीं करना पडता । यह त्यौहार संपूर्ण भारतखंडके समुद्री तटोंपर बडी धूमधामसे मनाया जाता है ।
२. नारियल पूर्णिमा त्यौहारकी एक झलक
इस दिन समुद्रको अर्पण किए जानेवाले नारियल सजाकर जुलूसके साथ समुद्रतट पर ले जाते हैं । वहां पहुंचनेपर समुद्रकी पूजा करते हैं, तथा श्रद्धा-भावसहित उस नारियलको अर्पण करते हैं ।
३. समुद्रको नारियल अर्पण करनेके सूक्ष्म-स्तरीय परिणाम
१. समुद्रदेवताका भावपूर्ण वंदन करनेसे व्यक्तिमें भावके वलय जागृत होते हैं ।
२. नारियलका पूजन करनेसे उसमें परमेश्वरीय तत्त्वके वलय कार्यरत होते हैं ।
३. नारियलमें चैतन्यके वलय कार्यरत होते हैं ।
३ अ. समुद्रदेवताको शरणागत भावसे नारियल अर्पण करनेसे समुद्रकी ओर चैतन्यके प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं ।
४. समुद्रदेवताका भावपूर्ण पूजन करनेसे परमेश्वरीय तत्त्वके प्रवाह समुद्रकी ओर आकृष्ट होते हैं ।
४ अ. अप्रकट रूपमें विद्यमान परमेश्वरीय तत्त्व वलयके रूपमें प्रकट होकर कार्यरत होते हैं ।
५. वरुणदेवताके तत्त्व वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
६. निर्गुण तत्त्व समुद्रमें अधिक मात्रामें वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
६ अ. निर्गुण तत्वात्मक कण वायुमंडलमें फैलते हैं ।
७, ७ अ, ७ आ , ७ ई . समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय आकृष्ट होते हैं एवं समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय जागृत होते हैं । इन वलयोंसे व्यक्ति की ओर आनन्द, चैतन्य एवं शक्ति के प्रवाह प्रक्षेपित होनेसे व्यक्तिमें आनन्द , चैतन्य तथा शक्तिके वलय जागृत होते हैं । व्यक्तिपर आए काली शक्ति के आवरण दूर होते हैं ।
८. शक्तिके कण कार्यरत होना तथा कला आवरण दूर होता हैं ।