९.२.२०१७ को डॉ. श्रीनारायण सिंह ने उनकी पत्नी श्रीमती राधा सिंह तथा कन्या कु. सविता सिंह के साथ सनातन के गोवा के रामनाथी आश्रम को सदिच्छा भेंट की । श्री. श्रीनारायण सिंह को वर्ष २०१३ में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से ‘तोंडखुरी पायखुरी’ इस गौ की लस की जांच करने हेतु प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय तंत्रज्ञान पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था । वे ‘बायोवेट प्रा. लि.’ इस वंâपनी के व्यवस्थापकीय संचालक हैं तथा कर्नाटक के कोलार जनपद के मालुर में निवास करते हैं । उनकी पत्नी श्रीमती राधा ने मथुरा के परम संत डॉ. चतुर्भुज सहायजी महाराज का अनुग्रह लिया है ।
१. श्रीमती राधा सिंह द्वारा प्राप्त अभिप्राय
१ अ. आश्रम :
‘इस आश्रम में आने के पश्चात् ऐसा प्रतीत हुआ कि, ‘मैं मेरे गुरु के आश्रम को ही भेंट कर रही हूं । साथ ही यह भी प्रतीत हुआ कि, सनातन आश्रम यह गृहस्थाश्रम तथा वानप्रस्थाश्रम इन दोनों का समीकरण है ।’
१ आ. स्वागतकक्ष में रखा हुआ श्रीकृष्ण का छायाचित्र :
अत्यंत मोहक प्रतीत होता है तथा उसकी ओर देखकर मैं स्तंभित ही रह गई ।
१ इ. ध्यानमंदिर :
ध्यानमंदिर में गुरू तत्त्व है । यहां मुझे मेरे गुरुदेवजी का अस्तित्व प्रतीत हुआ ।
१ ई. भोजनकक्ष :
‘थाली मे भोजन वैâसे परोसना ?’, इसका फ्लेक्स भोजन कक्ष में प्रसारित किया गया है । इस के आचरण से यह प्रतीत होता है कि, ‘भोजन करते समय चैतन्य किस प्रकार निभाएं रख सकते हैं ?’, इसका पालन आश्रम में किया जाता है ।’
२. कु. सविता (रिंकी ) सिंह द्वारा प्राप्त अभिप्राय
२ अ. सनातन संस्था के ग्रंथ हिन्दु धर्म में आचरण में आनेवाली कृती के पीछे होनेवाले धार्मिक कारण प्रस्तुत करते हैं, इससे नई पिढी को धर्मज्ञान प्राप्त होकर धर्म की ओर मुडना सहज होगा ! :
‘हिन्दु धर्म में आचरण की जानेवाली प्रत्येक कृती के पीछे कुछ ना कुछ कारण रहता है । वह कारण नई पिढी पूछती है । उसका धार्मिक कारण सनातन संस्था के ग्रंथों में बताया गया हैं । यह एक महान कार्य है । इस से नई पिढी को अच्छी दिशा प्राप्त हो रही है । इससे धर्मज्ञान वृद्धिंगत होकर धर्म की ओर मुडना सहज होगा ।’